अरसा बीत जाता है
आगाज़ – ए – मोहब्बत तो
हो जाती है
पर
आशियां सजाने में
एक अरसा बीत जाता है
मंज़िल – ए – जीस्त का
इल्म हो चाहे
पर
सफ़र तय करने में
एक अरसा बीत जाता है
कदम – ए – दिलबर
साथ चलते रहें
पर
हमदम होने में
एक अरसा बीत जाता है
हसरत – ए – दिल चाहें
पूरी होती रहें
पर
सुकून पाने में
एक अरसा बीत जाता है।
– जीस्त _ ज़िंदगी
– हमदम _ जो आख़िर तक साथ दे
अदिति टंडन
आगरा (उ.प्र)