किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल ना बेचे

Post by: Poonam Soni

स्मार्ट पार्क में मीडिया के प्रतिनिधियों से की चर्चा

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्मार्ट पार्क में आज रूद्राक्ष का पौधा लगाया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा कि आज सबके लिए कल्याणकारी भगवान शिव को समर्पित रूद्राक्ष का पौधा लगाया है। यह इसी कामना से लगाया है कि भगवान शिव सबका कल्याण करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा अपने संकल्प के अनुसार प्रतिदिन पौधा रोपण किया जा रहा है।

27 मार्च से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी आरंभ होगी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि 27 मार्च से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी आरंभ की जा रही है। वर्षा के कारण फसलों की खरीदी बाधित हुई थी। किसान ओने-पौने दामों पर अपनी फसल नहीं बेंचे। जिन फसलों के उचित और पर्याप्त मूल्य मिल रहे हैं, उन्हें किसान अवश्य बाजार में बेंचे। राज्य सरकार समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी करेगी।

रुद्राक्ष को प्राप्त है विशेष महत्व
मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा लगाया गया रुद्राक्ष का पौधा आस्था का प्रतीक माना जाता है। यह पवित्र वृक्ष माना जाता है। इसके फल की मालाएँ भी धारण की जाती हैं। ऐसा जन विश्वास है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के नेत्रों के जलबिंदु से हुई। रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया। रुद्राक्ष धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष आमतौर पर भक्तों द्वारा सुरक्षा कवच के तौर पर या ओम नमः शिवाय मंत्र के जाप के लिए भी पहने जाते हैं। इसके बीज मुख्य रूप से भारत और नेपाल में आभूषणों और माला के रूप में उपयोग किए जाते हैं। यह भी माना जाता है कि रुद्राक्ष अर्द्ध कीमती पत्थरों के समान मूल्यवान होते हैं।

रुद्राक्ष हिमालय के प्रदेशों में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त असम, मध्यप्रदेश, उत्तरांचल, अरूणांचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में पाए जाते हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्र में भी रुद्राक्ष मिलते हैं। इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरि , मैसूर-कर्नाटक एवं रामेश्वरम् में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं। लगिरि , मैसूर-कर्नाटक एवं रामेश्वरम् में भी रुद्राक्ष के वृक्ष देखे जा सकते हैं।

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