कैसे करें हरितालिका तीज की पूजन

Post by: Manju Thakur

इस दिन प्रातः काल दैनिक क्रिया से स्नान आदि से निपट कर रखने का विधान है। स्त्रियां उमा- महेश्वर सायुज्य सिद्दये हरतालिका व्रत महे करिष्ये संकल्प करके कहें कि हरतालिका व्रत सात जन्म तक राज्य और अखंड सौभाग्य वृद्धि के लिए उमा का व्रत करती हूं फिर गणेश का पूजन करके गौरी सहित महेश्वर का पूजन करें। इस दिन स्त्रियों को निराहार रहना होता है। संध्या समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वल वस्त्र धारण कर पार्वती तथा शिव की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन की सम्पूर्ण सामग्री से पूजा करनी चाहिए. सांय काल स्नान करके विशेष पूजा करने के पश्चात व्रत खोला जाता है।
आचार्य पंडित विकास शर्मा के अनुसार

हरितालिका तीज व्रत के कड़े नियम
– यदि कोई भी कुंवारी या विवाहित महिला एक बार इस व्रत को रखना प्रारंभ कर देती हैं तो उसे जीवनभर यह व्रत रखना ही होता है. बीमार होने पर दूसरी महिला या पति इस व्रत को रख सकता है।
– इस व्रत में किसी भी प्रकार से अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है. अगले दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का विधान है।
– इस व्रत में महिलाओं को रातभर जागना होता है और जागकर मिट्टी के बनाए शिवलिंग की प्रहर अनुसार पूजा करना होती है और रात भर जागकर भजन-कीर्तन किया जाता है।
– जिस भी तरह का भोजन या अन्य कोई पदार्थ ग्रहण कर लिया जाता है तो अन्न की प्रकृति के अनुसार उसका अगला जन्म उस योनि में ही होता है।
– इस व्रत के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा को सुनना जरूरी होता है. मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है।
क्यों रखती हैं महिलाएं हरितालिका तीज व्रत
हरितालिका तीज व्रत में विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना करती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर के लिए इस व्रत को रखती हैं।

तृतिया के दिन पार्वती जी को मिला था वरदान
शास्त्रों के अनुसार भादो के शुक्ल तृतीया-चतुर्थी के दिन भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर मां पार्वती को यह वरदान दिया था कि इस तिथि को जो भी सुहागिन अपने पति के दीघार्यु की कामना के साथ पूजन व व्रत और जागरण करेंगी. उनपर भगवान शिव प्रसन्न होते है।

नहाय-खाय आज
हरितालिका तीज व्रत से एक दिन पहले गुरुवार यानि आज शाम को व्रती महिलाएं नहाय-खाय करेंगी। इस दिन गंगा स्नान करके अरवा चावल, सब्जी आदि सेवन करेंगी। महिलाएं कल चौबीस घंटे तक निर्जला और निराहार व्रत रखेंगी. महिलाएं भगवान शंकर और पार्वती की रेत की मूर्ति बनाकर उसे फूलों से सजाएंगी और पूजा करेंगी तीज व्रत की पूजा के समय माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का उच्चारण करें और उनको सुहाग की सामग्री आदि अर्पित करें।

ओम शिवाये नम:।
ओम उमाये नम:।
ओम पार्वत्यै नम:।
ओम जगद्धात्रयै नम:।
ओम जगत्प्रतिष्ठायै नम:।
ओम शांतिरूपिण्यै नम:।

जानें इस व्रत का नाम कैसे पड़ा हरितालिका व्रत
पार्वती जी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। इस दौरान पार्वती जी की सखियों ने उनकी मदद करने के लिए एक विशेष योजना बनाई। सखियां उनका अपहरण करके उन्‍हें जंगल में ले गईं ताकि उन्‍हें विष्‍णुजी से विवाह न करना पड़े। सखियों ने उनका हरण किया इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ गया। जंगल में जाकर पार्वतीजी ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए उनकी तपस्‍या करना शुरू कर दिया। फिर शिवजी ने उन्‍हें दर्शन दिए और उन्‍हें पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया। पार्वतीजी की इस तपस्‍या को देखकर ही महिलाओं को हरतालिका तीज का व्रत करने की प्रेरण मिली।

हरतालिका तीज व्रत का तरीका
हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में अन्न और जल का त्याग किया जाता है। तीज की पूजा रात में भी की जाती है। इस व्रत के दौरान महिलाओं को मन में शुद्ध विचार रखना चाहिए। इस दिन बुराई, लोभ और क्रोध से बचना चाहिए. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान लगाना चाहिए।

बिना पानी पीए किया जाता है यह व्रत
हरितालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है। वहीं, हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए. हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए। इस व्रत को कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं।

पूजन में चढ़ाई जाती है सुहाग सामग्री
हरितालिका तीज व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। इस दौरान माता पार्वती को सुहाग सामग्री चढ़ाई जाती है, जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम और दीपक शामिल है।

पूजा के समय इन मंत्र का करें जाप
ऊँ उमायै नम:, ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:।
ऊँ हराय नम:, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम:।

हरितालिका तीज पूजा विधि
हरितालिका तीज व्रत में मां पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा बना लें. इसके बाद पूजास्थल को फूलों से सजा लें और एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. फिर देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का पूजन करें. सुहाग की वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाएं और शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। इस सुहाग सामग्री को सास के चरण स्पर्श करने के बाद किसी ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान कर दें। पूजन के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा पढ़ें या सुने और रात्रि में जागरण करें। फिर अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत का पारण कर लें।

इस दिन 16 श्रृंगार का है विशेष महत्व
हरितालिका तीज का व्रत करने वाली महिलाओं को नए कपड़े पहनने चाहिए। क्योंकि यह बेहद जरूरी है कि साफ-सुथरे और शुद्ध कपड़े पहनकर ही पूजा की जाए। तीज में सबसे ज्यादा हरे रंग की साड़ी पहनी जाती है। तीज पूजा शिव जी के लिए की जाती है और भगवान शिव को हरे रंग प्रिय है। इस दिन महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं। हरितालिका व्रत के दौरान 16 श्रृंगार का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी भी लगाती हैं, जिसे सुहाग की निशानी माना जाता है।

हरितालिका व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां
– इस व्रत के दौरान व्रती महिलाओं को रात में सोना नहीं चाहिए। इस दिन महिलाएं मिलकर भजन करके रात भर जागरण करती हैं।
– हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को क्रोध व चिड़चिड़ाहट इस दिन नहीं करनी चाहिए. मन को शांत रखने के लिए मेंहदी लगाई जाती है।
– मान्यता है कि तीज का व्रत निर्जला करना चाहिए, इस दौरान कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।
– इस दिन मांसाहार करने वाली लड़कियों को घोर श्राप मिलता है, इसलिए इस दिन मांसाहार से दूर रहें।
– व्रत के दौरान किसी भी महिला को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से अगले जन्म में सर्प योनि में जन्म मिलता है।
– इस दिन घर के बुजुर्गों को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और उन्हें दुखी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने वाले लोगों को अशुभ फल मिलता है।

दो तरीके से रखा जाता है हरितालिका तीज व्रत
हर​तालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। यह व्रत बेहद ही कठिन व्रत होता है। इसे दो प्रकार से किया जाता है। एक निर्जला और दूसरा फलहारी। निर्जला व्रत में पानी नहीं पीते है, इसके साथ ही अन्न या फल कुछ भी ग्रहण नहीं करते हैं, वहीं फलाहारी व्रत रखने वाले लोग व्रत के दौरान जल पी सकते हैं और फल का सेवन करते हैं, जो कन्याएं निर्जला व्रत नहीं कर सकती हैं तो उनको फलाहारी व्रत करना चाहिए।

हरितालिका तीज व्रत का महत्व
हरितालिका तीज व्रत को फलदायी माना जाता है। उत्तर भारत में इस व्रत की बहुत अधिक महत्व है। अगर कोई कुंवारी कन्याएं अपने विवाह की कामना के साथ इस व्रत को करती है तो भगवान शिव के आशीर्वाद से उसका विवाह जल्द हो जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि अगर कोई कुंवारी कन्या मनचाहे पति की इच्छा से हरतालिका तीज व्रत रखती है तो भगवान शिव के वरदान से उसकी इच्छा पूर्ण होती है। मान्यता है जो महिलाएं इस व्रत को सच्चे मन से करती हैं उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है। वहीं, कुछ दक्षिणी राज्यों में इस व्रत को गौरी हब्बा के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसे की जाती है हरितालिका तीज में पूजा
हरतालिका पूजा के लिए सुबह का समय बहुत शुभ माना जाता है। हालांकि यदि किसी कारणवश यदि प्रातः काल के मुहूर्त में पूजा नही हो पाती है तो फिर प्रदोषकाल में पूजा की जा सकती है। हरतालिका तीज पर पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम के समय चौकी पर मिट्टी के शिव-पार्वती व गणेश जी की पूजा की जाती हैं। पूजा के समय सुहाग का सामान, फल पकवान, मेवा व मिठाई आदि चढाई जाती है। पूजन के बाद रात भर जागरण किया जाता है, इसके बाद दूसरे दिन सुबह गौरी जी से सुहाग लेने के बाद व्रत तोड़ा जाता है

हरितालिका तीज व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
हरितालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए यह कठिन व्रत रखा था, इसके बाद से महिलाओं द्वारा इस दिन व्रत और पूजन करने की परंपरा है. हरतालिका तीज व्रत 21 अगस्त यानि कल है। हरतालिका तीज की पूजा मूहूर्त में होनी शुभ होती है। ऐसे में 21 अगस्त को सुबह हरतालिका पूजा मूहूर्त सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। वहीं दूसरा प्रदोषकाल में हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मूहूर्त शाम 06 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर रात 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा

जानें क्यों रखा जाता है हरितालिका व्रत
हरितालिका तीज व्रत कल है। मान्यता है कि देवी पार्वती की सहेली उन्हें उनके पिता के घर से हर कर घनघोर जंगलों में ले आई थी, इसलिए इस दिन को हरतालिका कहते हैं. यहां हरत का मतलब हरण और आलिका का मतलब सहेली या सखी है। इसीलिए इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत कहा जाता है। उस दिन भगवान शंकर ने पार्वती जी को यह कहा कि जो कोई भी स्त्री इस दिन परम श्रद्धा से व्रत करेगी उसे तुम्हारी तरह ही अचल सुहाग का वरदान प्राप्त है।

जानें किस नक्षत्र में पूजा करने का है विशेष महत्व
आज द्वितीया तिथि है. द्वितीया तिथि आज गुरुवार को सुबह 6 बजकर 18 मिनट से शुरू हो गया है। वहीं, रात 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. जिसमें महिलाएं पूरे दिन समयानुसार नहाय खाय का कार्य कर सकती हैं। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। आज नहाय खाय के साथ कल व्रत रखा जाएगा. हरितालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है।

हरितालिका व्रत का है विशेष महत्व
हरितालिका तीज व्रत कुंवारी और सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं। इसमें भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरितालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। इस दिन श्रृंगार का महत्व बहुत अधिक होता है। कुंवारी युवतियां मनचाहे जीवनसाथी की कामना से व्रत करती हैं. साथ ही जिन कन्याओं का विवाह लंबे समय से नहीं हो पा रहा है वह भी अगर हरितालिका तीज व्रत करती हैं तो जल्द ही उनके विवाह के योग बन जाते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था।

आचार्य पंडित विकास शर्मा
8770417924

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