इटारसी। नवरात्रि के पावन मौके पर बैतूल जिले के अनेक स्थानों से सैंकड़ा आदिवासी तिलक सिंदूर में तीर्थ करने पहुंचे थे। आज उनके देव बाबा ने उगते सूर्य का नीर लिया। आदिवासियों ने इस मौके पर पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम किये।
इटारसी से करीब 15 किलोमीटर दूर सतपुड़ा पर्वत श्रंखलाओं में प्राकृतिक शिवलिंग तिलक सिंदूर है जो आदिवासियों की आस्था का केन्द्र है। समीप ही हंसगंगा नदी है, जो पहाड़ी नदी है, यहां आदिवासी स्नान करके पूजन-पाठ करते हैं। हंसगंगा के पास ही ऊंची पहाड़ी पर गुफा मंदिर विराजे शिवलिंग का पूजन अर्चन बैतूल जिले से आये आदिवासियों ने किया।
आदिवासी समाज विनोद वारिवा ने बताया कि देवी देवताओं की जोड़ी तीर्थ स्नान पर आती है। समीप ही हंस गंगा कुंड में उगते सूरज से बाबा नीर लेते हैं, शाम से सुबह तक नाच गाना चलता है। पारंपारिक वाद्ययंत्र टिमकी, बांसुरी की धुप पर नाच चलता है। आदिवासियों को अपनी इस लोक परंपरा से बड़ा ही लगाव है। वे प्रकृति पूजक हैं और पेड़-पौधों, पारंपरिक शस्त्र की पूजा यहां करते हैं।
नवरात्रि की पावन बेला में तीर्थ करने यहां बैतूल, शाहपुर, चोपना, घोड़ाडोंगरी, के अलावा नर्मदापुरम, सिवनी मालवा, हरदा के ग्रामीण क्षेत्र के लोग पहुंचते हैं। श्री वारिबा ने बताया कि पहले यहां इस मौके पर पुलिस व्यवस्था भी की जाती थी, लेकिन इस वर्ष ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई। यहां पुलिस व्यवस्था भी होना चाहिए जिससे स्नान करने वाले श्रद्धालु एवं रात को ठहरने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत का सामना ना करना पड़े।