
कविता: जब तेरी यादों की शरर…
जब तेरी यादों की शरर
दिल में उठती है
हर ओर इश्क़ की रोशनी
बिखर जाती है।
शब अंधेरी कहां रहती हैं
जब यादें बन मेहताब
चमकती हैं।
उदासी के साए भी
अलविदा कह जाते हैं
जब यादें जुगनू बन
दमकती हैं।
नहीं घबराते अब हम
आलम ए तन्हाई से
जब रोशन यादें हमसफ़र सी
साथ चलती हैं।
शरर _ चिंगारी
अदिति टंडन(Aditi Tandan)
आगरा
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