पोस्टमैनों की लापरवाही, नहीं वितरित कर रहे समाचार पत्र

Post by: Rohit Nage

इटारसी। शहर के साप्ताहिक अखबार मालिक इन दिनों डाकघर की अव्यवस्था से परेशान हैं। यहां के पोस्टमैन इतने लापरवाह हो गये हैं कि साप्ताहिक समाचार पत्रों का समय निकलने के बावजूद अखबार नहीं बांट रहे हैं। वहीं डाकघर प्रबंधन का कहना है कि पोस्टमैन की कमी इसमें सबसे बड़ा कारण है। शहर का दायरा और आबादी बढ़ गयी है, लेकिन पोस्टमैन की संख्या बढ़ाने की बजाये कम कर दी गई है। जहां पूर्व में 14 पोस्टमैन कार्यरत थे, वर्तमान में 9 की पोस्टिंग है, इसमें से भी एक अभी तक नहीं भेजा गया है।

एक साप्ताहिक के संचालक राहुल शरण का सीधा आरोप है कि नर्मदापुरम के चैंबर में आराम से बैठे एसएसपी, इटारसी डाकघर में एचआरसी और पोस्टमैनों की मनमानी चल रही है। वे कहते हैं कि एचआरसी पुष्पा मिश्रा की मनमानी चरम पर है। डाक वितरण व्यवस्था की जिम्मेदारी होने के बावजूद एचआरसी द्वारा डाकघर में आने वाली डाकों और अखबारों के वितरण कराने में लापरवाही की जा रही है। डाकघर में लापरवाही की व्यवस्था का आलम ये है कि अखबारों के डाक पंजीयन की प्रक्रिया कराने के बावजूद अखबारों का वितरण कराने में पोस्टमैनों की मनमानी चल रही है। कार्यालय में स्थानीय स्तर से प्रकाशित होने वाले अखबारों का वितरण नहीं किया जा रहा है। बंडलों के ढेर कार्यालय में लावारिस पड़े हैं। पूर्व में भी अखबारों के संपादकों ने इस लापरवाही को लेकर डाक विभाग में मौखिक शिकायत की थी मगर विभाग के सब डिवीजनल इंस्पेक्टर श्रीराम गुप्ता ने इन शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

पोस्टमैन कम कर दिये हैं

इटारसी शहर में 14 पोस्टमैन पदस्थ थे, उनकी संख्या घटाकर 9 कर दी है, उनमें से भी एक अभी तक नहीं भेजा गया है। इन 8 में से भी कभी कोई आकस्मिक अवकाश पर रहता है, कोई मेडिकल लीव पर। तीन पोस्टमैन तो अवकाश पर होते ही हैं। केवल पांच पोस्टमैन के भरोसे शहर की आबादी है। ऐसे में कार्य प्रभावित होना स्वभाविक है। उपडाकघर में प्रभारी राजेश शर्मा का कहना है कि यहां की सारी स्थिति से आला अधिकारियों को अवगत करा दिया है, प्रवर अधीक्षक को भी इसकी सारी जानकारी भेज दी गई है, कार्रवाई ऊपर से ही होना है, हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। हमने पोस्टमैनों को नोटिस भी दिये हैं, चार्जशीट भी दी जा रही है, लेकिन संख्या बल कम होने से परेशानी हो ही रही है।

8 हजार वालों को मिल जाता पता

पोस्टमैन की लापरवाही इस हद तक है कि हर रोज बड़ी संख्या में डाक लोगों तक नहीं पहुंच पाती है और उनको वापस कर दिया जाता है, कारण में पता नहीं मिलना या गलत पता लिखना बताकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान ली जाती है। सवाल यह है कि प्रायवेट कंपनियों के कर्मचारी ऑनलाइन माल बुलाने पर शहर में कहीं भी हो, पता निकाल ही लेते हैं तो फिर पोस्टमैन पता क्यों नहीं कर पाते। 8 हजार का कर्मचारी कई किलो का बैग लेकर सारे शहर का चक्कर लगा देता है, लेकिन 50 हजार का पोस्टमैन पता नहीं मिलने का बहाना बनाकर डाक वापस ले जाता है। ऐसे लापरवाह पोस्टमैनों पर सख्त कार्रवाई होने पर ही व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है। वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी सुस्त कार्यप्रणाली सुधारकर डाक व्यवस्था में सुधार लाने पहल करना चाहिए, क्योंकि प्रतियोगी युग में इसी तरह से चलता रहा तो डाकघर का कितना भी आधुनिकीकरण कर दो, यह ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है।

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