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खजूर रविवार संदेश: “राजा आ गया है – छुटकारे की यात्रा का आरंभ”*

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  • डॉ॰ सुभाष पवार

आज जब हम खजूर की डालियाँ हाथ में लेकर यह घोषणाएँ करते हैं, *“होशाना! धन्य है इस्राएल का राजा जो प्रभु के नाम से आता है!”* (यूहन्ना 12:13), हम उस पवित्र और सामर्थी स्मृति में प्रवेश करते हैं जब यीशु यरूशलेम में विजयी प्रवेश करते हैं—एक ऐसा प्रवेश जो प्राचीन भविष्यवाणी की पूर्ति था और परमेश्वर की छुटकारे की योजना के अंतिम चरण की शुरुआत।

सृष्टि के आरंभ से ही, पवित्रशास्त्र हमें इस क्षण की ओर इंगित करता है। अदन की वाटिका में, जब पाप ने संसार में प्रवेश किया, तो परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि स्त्री का वंश सांप का सिर कुचलेगा (उत्पत्ति 3:15)। पूरे पुराने नियम में, राजा के आने की झलक हमें मिलती है—दाऊद का सिंहासन, फसह का मेम्ना, यशायाह 53 का दुखी सेवक—ये सभी भविष्यवाणियाँ यीशु मसीह में पूरी हुईं।

खजूर रविवार एक पवित्र मोड़ है। सुसमाचार हमें उस दिन की उत्तेजना, महिमा और गंभीरता को दिखाते हैं। राजा घोड़े पर नहीं, बल्कि एक दीन गधे पर सवार होकर आता है (जकर्याह 9:9; मत्ती 21:5), यह दर्शाते हुए कि उसका राज्य इस संसार का नहीं, बल्कि शांति, नम्रता और अनन्त उद्देश्य का राज्य है।

भीड़ “होशाना” पुकारती है, जिसका अर्थ है “अब हमें बचा!”—यह पुकार आशा और व्याकुलता का मिश्रण है। लेकिन कुछ ही दिनों में, वही भीड़ “इसको क्रूस पर चढ़ा दे” चिल्लाएगी। फिर भी यीशु आगे बढ़ते हैं, यह जानते हुए कि उनके लिए क्रूस की वेदी तैयार है। उन्होंने यरूशलेम के लिए आंसू बहाए (लूका 19:41)—अपने लिए नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए जिन्होंने अपने उद्धारकर्ता को पहचानने का अवसर खो दिया।

खजूर रविवार हमें याद दिलाता है कि यीशु मसीह ही मसीहा राजा, दुख उठाने वाला सेवक, और जीवित उद्धारकर्ता हैं। उनकी महिमा का मार्ग दुःख से होकर गुज़रा, और उनकी विजय तलवार से नहीं, बल्कि बलिदान से प्राप्त हुई। यरूशलेम में प्रवेश करते ही उन्होंने मंदिर में जाकर उसे शुद्ध किया (मरकुस 11:15–17), लोगों को पवित्रता और सच्ची आराधना की ओर बुलाया। आज भी वे हमें वैसा ही बुलावा देते हैं।

यह विजयी प्रवेश केवल इतिहास नहीं, बल्कि एक आत्मिक निमंत्रण है। राजा अब भी आता है—आपके हृदय में, आपके घर में, आपके जीवन में। क्या आप अपने वस्त्र और खजूर की डालियाँ उनके चरणों में समर्पित करेंगे? क्या आप केवल यरूशलेम के फाटकों तक नहीं, बल्कि कलवरी तक और फिर पुनरुत्थान की महिमा तक उनके पीछे चलेंगे?

इस खजूर रविवार, आइए हम अपने हृदयों को इस सच्चाई से नया करें कि राजा आ चुका है, उसने पाप और मृत्यु पर जय पाई है, और वह फिर महिमा में आने वाला है। जब तक वह आता है, तब तक हम विश्वास और आनंद से यह जयघोष करते रहें:

*“होशाना ऊँचे स्थानों में! धन्य है वह राजा जो प्रभु के नाम से आता है!” (लूका 19:38)*।

Subhas Pawar

डॉ॰ सुभाष पवार, पास्टर,

एसेम्बली ऑफ क्राइस्ट चर्च इटारसी व

अध्यक्ष, क्रिश्चियन पास्टर्स एसोसिएशन इटारसी

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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