भोपाल। मध्य प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली (police commissioner system) लागू कर दी गई है। इसकी घोषणा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने की। बता दे कि बीते दिनों मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम जल्द ही लागू हो रही है और आज इसका इन्तजार खत्म हो चुका है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली के ड्राफ्ट को गृह विभाग, विधि विभाग और वित्त विभाग ने अपनी स्वीकृति दे दी है। बता दें कि एरिया नोटिफिकेशन के तहत शहरी पुलिस थाना क्षेत्र में यह प्रणाली लागू होगी। इसमें नगर निगम सीमा के सभी पुलिस थाने शामिल होंगे इसके अलावा देहात थाने बाहर रहेंगे। लेकिन जिन पुलिस थानों के क्षेत्र में देहात और शहरी क्षेत्र दोनों शामिल रहेंगे, उन्हें भी प्रणाली में शामिल रखा जाएगा। यानी जिन पुलिस थानों का पूरा क्षेत्र देहात हैं, वो ही इससे बाहर रहेंगे।
प्रणाली के अंतर्गत संशोधन
पुलिस कमिश्नर प्रणाली के अंतर्गत गृह विभाग के द्वारा जो भी धाराएं और नियम है, उसमें कई जगह संशोधन किये गए हैं। साथ ही नगर निगम के अंतर्गत आने वाले थाने भी इसके अंतर्गत रहेंगे। पुलिस कमिश्नर प्रणाली को भोपाल के 32 थाने और इंदौर के 34 थाना क्षेत्रों में लागू किया गया है। भोपाल और इंदौर दोनों जगह अलग-अलग पुलिस आयुक्त रहेगे। इसके अलावा इसमें अलग अलग स्तर पर पुलिस को नियुक्त किया जाएगा।
यह रहेंगी धाराएं
गृह विभाग ने दंड संहिता की धारा 107/16, 144,133, पुलिस एक्ट, मोटर व्हीकल अधिनियम, राज्य सुरक्षा अधिनियम, शासकीय गोपनीयता, अनैतिक देह व्यापार, राज्य सुरक्षा जिला, किडनैप आदि के अधिकार पुलिस को देने का प्रस्ताव तैयार किया था जिसे अब लागू किया गया है। प्रणाली लागू होते ही पुलिस अफसरों की नियुक्ति कर दी जाएगी। जल्द ही तीन अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, आठ उपायुक्त, 12 अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और 19 सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे जो की करीब 43 अफसरों का स्टॉफ रहेगा।
गृहमंत्री @drnarottammisra की प्रेसवार्ता https://t.co/Z5mMAVweWv
— Jansampark MP (@JansamparkMP) December 9, 2021
क्या होती है पुलिस कमिश्रर प्रणाली
– इस प्रणाली के अंतर्गत पुलिस और कानून व्यवस्था की सारी शक्तियाँ पुलिस आयुक्त (Commissioner of Police) में निहित होती हैं तथा पुलिस आयुक्त एकीकृत पुलिस कमान का प्रमुख होता है।
– कमिश्नरी प्रणाली में पुलिस आयुक्त अपने कार्यक्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने एवं अपने निर्णयों के लिये राज्य सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है।
– इस प्रणाली में दंड प्रक्रिया संहिता (Code Of Criminal Procedure-CRPC) के तहत कुछ मामलों में अंतिम फैसला लेने का अधिकार पुलिस आयुक्त को दे दिया जाता है। जैसे- CRPC की धारा 107-116, 144, 145 आदि।
– CRPC की धारा 20 के तहत पुलिस आयुक्त को दंडाधिकार की शक्तियाँ जबकि अपर आयुक्तों को CrPC की धारा 21 के तहत कुछ मामलों में दंडाधिकार की विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं।
– कमिश्नरी प्रणाली में पुलिस आयुक्त को अपने कार्यक्षेत्र की सीमा के अंदर लाइसेंस जारी करने का भी अधिकार प्राप्त होता है। जैसे- शस्त्र लाइसेंस, होटल या बार लाइसेंस आदि।
– पुलिस आयुक्त के पास क्षेत्र के किसी भी भाग में किसी भी प्रकार के आयोजन (सांस्कृतिक कार्यक्रम, कॉन्सर्ट, विरोध प्रदर्शन, धरना आदि) की अनुमति देने या न देने का अधिकार होता है।
– इसके साथ ही विशेष परिस्थितियों में बल प्रयोग और संवेदनशील मामलों में रासुका {राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National Security Act-NSA)}-1980 या गैंगस्टर एक्ट के तहत विभिन्न धाराओं का प्रयोग करने के लिये पुलिस आयुक्त का आदेश ही अंतिम एवं सर्वमान्य होता है।