संकट में सहयोगी बनें, विरोधी नहीं, स्कूल संचालकों की अपील

Post by: Manju Thakur

अधिकांश स्कूलों के सामने अस्तित्व बचाने का संकट

इटारसी। अधिकांश निजी स्कूलों (Private School) के सामने बच्चों के पालकों द्वारा ट्यूशन फीस (Tuition Fees) भी नहीं दिये जाने से अस्तित्व का संकट उत्पन्न होने लगा है। कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ दें तो नब्बे फीसदी से अधिक स्कूल फीस नहीं मिलने से अस्तित्व के संकट से जूझने लगे हैं। ऐसे में अभिभावकों (Parents) द्वारा कोर्ट के आदेश के बावजूद फीस नहीं देने की जि़द ने ऐसे स्कूल संचालकों को स्कूल बंद करने तक विचार करने को मजबूर कर दिया है। लॉकडाउन में केवल अभिभावक ही परेशान नहीं, बल्कि इस वैश्विक महामारी का असर स्कूलों पर भी पड़ा है। अब जबकि ज्यादातर स्कूल केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेश का पालन कर रहे हैं, उन पर बुरा असर पड़ रहा है। कुछ स्कूल यदि ट्यूशन फीस से ज्यादा ले भी रहे होंगे तो ऐसे स्कूलों की संख्या बहुत कम होगी, ऐसे में सभी स्कूलों को एक ही नजर से देखने में उनके संचालन पर बुरा असर पड़ रहा है।
गौरतलब है कि अधिकांश स्कूलों ने शिक्षण शुल्क के अलावा जो भी अतिरिक्त शुल्क था जैसे एक्टिविटी शुल्क, परीक्षा शुल्क, लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल, स्पोट्स एवं अन्य गतिविधि का शुल्क कम कर दिया है। इस पेंडमिक परिस्थिति में स्कूलों ने अभिभावक का सहयोग किया है एवं 6 माह बिना शुल्क लिए सभी कक्षाओं का नियमित संचालन किया है। परंतु अब सभी को आर्थिक कठिनाई आ रही है एवं कोर्ट तथा शासन के आदेशानुसार ही प्रत्येक कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है, उनके अनुसार ही शिक्षण शुल्क की मांग कर रहे हैं।

परेशान केवल पालक नहीं हैं
इस कोरोना काल में केवल पालक ही परेशान नहीं हुए हैं, स्कूलों के संचालक, शिक्षक-शिक्षिकाएं भी उतने ही परेशान हैं, क्योंकि वे भी इसी समाज का हिस्सा हैं। जो लोग ट्यूशन फीस देने का भी विरोध कर रहे हैं, वे सोचें कि क्या स्कूलों की महत्ता का कम आंका जा सकता है। कोरोना काल की सच्चाई से स्कूल भी परे नहीं हैं। शिक्षक स्कूल में भविष्य के नागरिकों का निर्माणकर्ता है, वह आपके बच्चों की नींव मजबूत करता है ताकि वह अपना भविष्य सुरक्षित कर सके। वह अध्यापन के साथ कई ऐसे कार्य करता है, जिनका कोई मूल्य भी नहीं चुका सकता है, जैसे चरित्र निर्माण, अनुशासन, प्रेम, त्याग, सद्भावना और टीम वर्क आदि। पालकों को स्कूलों को एक ही तराजू में तौलकर टकराव का रास्ता उचित नहीं कहा जा सकता है।

यह है अधिकांश स्कूलों की सच्चाई
– केन्द्रीय विद्यालयों द्वारा पालकों से पूरा शिक्षण शुल्क लिया जा रहा है
– माशिमं स्कूल मान्यता व स्टाम्प ड्यूटी की पूरी किश्त जमा करा रहा है
– माशिमं परीक्षा शुल्क एडवांस ले रहा, सरकार इस बार परीक्षा शुल्क माफ करे
– स्कूल भवन का किराया, बिजली बिल, टेलीफोन, संपत्तिकर, मेंटेनेंस, फर्नीचर खर्च तो लगे ही हैं, जो शिक्षण शुल्क और अन्य शुल्कों से पूरा करते हैं
– इस वर्ष सिर्फ शिक्षण शुल्क लिया जा रहा है, वह भी पिछले सत्र के अनुसार, बिना कोई फीस वृद्धि किये
– शासन के आदेश पर ही बच्चों को वाट्सअप ग्रुप से जोड़ा गया, ऑनलाइन कक्षाएं ली जा रही हैं
– स्कूलों में इस समय सेनेटाइजर, थर्मल स्कैनिंग गन, ऑक्सीमीटर आदि का खर्च भी बढ़ गया है
– स्कूली शिक्षक-शिक्षिकाओं का वेतन विद्यार्थियों के शिक्षण शुल्क से ही दिया जाता है
– शासन ने पूरक परीक्षा की पूरी फीस ली है
– रुक जाना नहीं परीक्षा ली तो पूरा शुल्क और पंजीयन शुल्क भी लिया
– स्कूलों से मान्यता के नाम पर पूरा शुल्क लिया जा रहा. जिसमें किसी तरह को कोई छूट नहीं दी जा रही
– परीक्षा शुल्क पूरा लिया जाएगा, इसमें कोई छूट नहीं
– छात्र का क्योस्क के पास से पंजीयन होना था, अब स्कूल को ही करना है, जिसके लिए स्टाफ बुलाना अनिवार्य हो जायेगा
– ऑनलाइन पढ़ाई में प्रति शिक्षक मोबाइल चार्ज और वेतन
– स्कूलों में शिक्षा विभाग की जानकारी मांगने के समय स्टाफ को बुलाकर काम कराया जिसका वेतन भी भुगतान किया
– एसओपी के तहत स्कूल में सामग्री/कर्मचारियों को सवेतनिक उपलब्ध कराना।

इनका कहना है…!

अभिभावक और स्कूल  एक ही परिवार के हैं। कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा स्वार्थवश अपना उल्लू सीधा करने के लिए दोनों के बीच दूरियां बना रहें हैं , जो की उचित नहीं है। यदि अभिभावक को फीस नहीं देना है तो उसके लिए वो सरकार से,  स्कूल को होने वाले नुक्सान की भरपाई देने की और फीस नहीं देने की  मांग करें ।
दीपक हरिनारायण अग्रवाल, स्कूल संचालक (Deepak Harinarayan Agrawal)

हमारा अभिभावकों से निवेदन है कि जो स्कूल शासन एवं कोर्ट के आदेशानुसार केवल शिक्षण शुल्क ले रहे हैं, आप उन्हें परेशान न करें। जो शासन और कोर्ट के आदेशों का उलंघन कर रहे हैं उन स्कूल  से बात कर इस समस्या का समाधान करें ।
मो. जाफर सिद्धिकी, स्कूल संचालक एवं अध्यक्ष पीएसए (Moh. Jafar Siddiqui)

एक बेसिक अमाउंट पेरेंट्स स्कूल में जमा करें। कोर्ट का अंतरिम निर्णय के अनुसार स्कूल ने ऑनलाइन पढाई की सुविधा जारी रखी है उसी निर्णय को ध्यान में रख कर पेरेंस को फीस जमा करना चाहिए। कितने प्रतिशत की बात है तो उसके लिए न स्कूल एसोसियेशन और न ही पेरेंट्स एसोसियेशन निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, उसके लिए हमारे पास कोर्ट है। जब तक फाइनल निर्णय नहीं आता है तब तक पहली और दूसरी किश्त तो पेरेंट्स को जमा करना चाहिए ।
प्रशांत जैन, स्कूल संचालक (Prashant Jain)

जिस भी अभिभावक ने लिखित रूप में अपनी परेशानी स्कूल आ कर रखी है उस के साथ संस्था पूरा सहयोग कर रही है और सक्षम अभिभावकों से किश्तों में शिक्षण शुक्ल जमा कर संस्था को सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया जा रहा है। अभिभावकों को अपने प्राचार्य से  विनम्रता पूर्वक  मिल  कर रास्ता निकालना चाहिए । व्यापार की तुलना स्कूल संचालन से नहीं की जा सकती।
नीलेश जैन, स्कूल संचालक एवं सचिव पीएसए (Nilesh Jain)

 

 

 

 

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