होशंगाबाद। इतिहास को पूर्वाग्रह छोडकर पढे और पढाए, यह बात इतिहास परिषद के शाम बिजोरिया ने अपने वक्तव्य में कही। उनका कहना है कि सांप्रदायिकता का धरातल यथार्थ में वैचारिक उद्भव से है। सत्र 2020 21 के इतिहास परिषद के अकादमिक सत्र का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य डॉ. ओ. एन चौबे (Principal Dr. ON Choubey) ने कहा कि इतिहास परिषद महाविद्यालय की इस सत्र की सबसे पहली परिषद है जो अकादमी शोध और सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वाह जिम्मेदारी के साथ करती है। इतिहास अपने आप में संपूर्ण विषय है जिसमें संपूर्ण ज्ञान निहित है। इस परिषद के विद्यार्थी ना केवल राष्ट्रीय वरन् अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध संगोष्ठी में नर्मदा महाविद्यालय (Narmada College, Hoshangabad) का प्रतिनिधित्व करते हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. बीसी जोशी ने कहा जो लोग कुछ काम करके इस दुनिया से चले जाते हैं वही इतिहास बनाते हैं। यह आयोजन इतिहास के छात्र छात्राओं द्वारा आयोजित की गई। संगोष्ठी में 42 विद्यार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। आभार संस्कार गौर, डॉ कल्पना विश्वास ने किया। वहीं डाॅ हंसा व्यास ने इतिहास परिषद के गठन के उद्देश्य के बारे में बताया, उन्होंने कहा कि इतिहास हमें डिग्री के लिए नहीं पढ़ना चाहिए, बल्कि इतिहास हमें पढ़ना चाहिए। अपने आपको जानने के लिए अपने समाज को जानने के लिए अपने देश को जानने के लिए साथ ही अंतरराष्ट्रीय धरातल पर हमें इतिहास की गतिविधियों की समझ बनाने के लिए इतिहास पढ़ना चाहिए।
इन विद्यार्थियों शोध पत्र महत्वपूर्ण रहे
भव्या चौहान – इतिहास के महत्व को बताया
अभिषेक अहिरवार- आजादी के बाद नारी की स्थिति
बुलबुल ककोडिया – भारत की आजादी का इतिहास
अंकित शर्मा – प्राचीन भारत मे नारी
कान्हा पाठक – आधुनिक भारत के स्रोत
कुलदीप प्रजापति – ब्रिटिश साम्राज्य का निष्कासन
पुने सिंग – 1857 का महारानी का घोषणा पत्र
ऋषभ राठौड़ – ब्रिटिश साम्राज्य के नियंत्रण
रोशन शर्मा – भक्ति आंदोलन में महिलाएं
संस्कार गौर – इतिहास लेखन
साधना अहिरवार – मार्क्सवादी इतिहास लेखन
शैलेंद्र चौधरी- ब्रह्म समाज मे नारी
शुभम – भारत मे किसान आंदोलन
सोनिया नेहरा – आर्य समाज में नारी
वर्षा वी -इतिहासकर टॉयनबी
मेघेश गौर-पुनर्जागरण काल मे नारी
शुभम गौर -डलहौजी की हड़प नीति पर अपने पत्र प्रस्तुत किये