परमात्मा से प्रेम करना सिखाती है श्रीमद् भागवत : तिवारी

Post by: Aakash Katare

जगनाथपुरी,उड़ीसा। श्री नारद जी द्वारा व्यास जी के कानों में जो चतुर्शलोकी ज्ञान गंगा संवाहित की गई थी, उसी से व्यास जी ने 18000 श्लोकों की श्रीमद् भागवत कथा की रचना की थी।

उक्त उद्गार के साथ आज श्री जगन्नाथपुरी की होटल नीलाद्री के सभागार में भागवताचार्य पंडित नरेन्द्र तिवारी (Bhagwatacharya Pandit Narendra Tiwari) ने श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा में व्यक्त किये। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम श्रोता राजा परीक्षित के जन्म की द्वापर युग की अलौकिक कथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि वास्तव में तो भागवत कथा शोनकादिक 88 हजार ऋषियों के द्वारा श्री शुकदेव जी से पूछे गए 6 प्रश्नों की उत्तर स्वरूप ही हैं। उन्होंने अश्वत्थामा द्वारा की गई पांडव पुत्रों की हत्या के बाद भी द्रोपदी द्वारा पांडवों को अश्वत्थामा को मृत्यु दण्ड नहीं देने, शर शैया पर लेटे भीष्म व श्री कृष्ण के मध्य हुए संवाद आदि कुछ कथा प्रसंगों का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया।

भीष्म द्वारा की गई श्री कृष्ण की पावन स्तुति को भजनांजली के रूप में बहुत सजीवता से रेखांकित किया। पंडित नरेंद्र तिवारी ने राजा परीक्षित की श्राप की कथा का भी विस्तार से वर्णन किया।

इस ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान राजेंद्र अग्रवाल, भौंरा वाले हैं। सह यजमान प्रोफेसर डॉ.विनोद सीरिया हैं। एनपी चिमनिया व अन्य कुछ यजमानों द्वारा ही अपनी तरफ से पंडितों द्वारा पृथक-पृथक भागवत कथा पाठ भी कराया जा रहा है।

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