सोम प्रदोष, पुष्य नक्षत्र, रवि, सौभाग्य, आयुष्मान, सर्वार्थ सिद्धि योग का महासंयोग

Post by: Rohit Nage

इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल के पुजारी गुरूजी पं. रामजीवन दुबे ने बताया कि माघ शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत सोमवार त्रयोदशी 14 फरवरी को पड़ रहा है। अत: यह सोम प्रदोष व्रत कहलाएगा। सौभाग्य योग आयुष्मान योग के साथ रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ पुष्य नक्षत्र रहेगा। सोम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है।
इस प्रकार, माघ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का प्रदोष व्रत 14 फरवरी को है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। सप्ताह के सातों दिनों को पडऩे वाले प्रदोष व्रत को नाम से पुकारा जाता है। माघ माह में शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है। अत: यह सोम प्रदोष व्रत कहलाएगा। शास्त्रों और पुराणों में निहित है कि सोम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। अत: सोम प्रदोष व्रत करने से दुगुना फल प्राप्त होता है।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

क्रय-विक्रय, मांगलिक, शुभ कार्य, आज होंगें। प्रदोष काल में पूजा लाभ देगी। माघ, शुक्ल त्रयोदशी सोमवार 14 फरवरी, 2022 को है। शुक्ल त्रयोदशी तिथि 13 फरवरी को संध्या काल में 6 बजकर 42 मिनट पर शुरु होकर 14 फरवरी को रात में 8 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त संध्याकाल में 6:10 बजे से शुरू होकर रात्रि में 8 बजकर 28 मिनट तक है। व्रती संध्याकाल में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

व्रत नियम द्वादशी से पालन करना अनिवार्य है। अत: साधकों को द्वादशी तिथि के दिन तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। अगले दिन यानी त्रयोदशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिवजी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। इसके पश्चचात, अंजिल में गंगाजल रख आमचन कर अपने आप को शुद्ध और पवित्र करें। फिर श्वेत और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अघ्र्य दें। फिर भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें। पूजा करते समय शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप अवश्य करें। अंत में आरती अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना करें। फिर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। सोम प्रदोष के दिन शिवजी की पूजा करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं।

Leave a Comment

error: Content is protected !!