इटारसी। शहर में जलसेवा की परंपरा बेहद पुरानी है, दशकों से यहां प्याऊ के माध्यम से गर्मी में बाहर से आने वाले और शहर के भी बाजार आने वालों को पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझायी जाती रही है। कई दशकों बाद भी जलसेवा की यह परंपरा बदले रूप में अब भी निभायी जा रही है। गर्मी के भीषण दौर में सूखे कंठों की प्यास बुझाने के लिए शहर के आने के स्थान पर प्याऊ संचालित किया जा रहे हैं। जिनके माध्यम से तपती गर्मी के मौसम में पीडि़त मानवता की सेवा की जा रही।
इन दिनों शहर के विभिन्न स्थानों में सार्वजनिक स्थानों जिनमें प्रमुख रूप से नगर के बाजार क्षेत्र में स्थित चावल लाइन, पहली लाइन स्थित श्री राम जानकी मंदिर, रेलवे स्टेशन के सामने स्थित श्री हनुमान मंदिर, सोना स्वामी नाका स्थित माता महाकाली दरबार के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों और चहल-पहल वाले क्षेत्रों में मटके एवं पानी की केन आदि की व्यवस्था कर राहगीरों के लिए शीतल पीने के पानी की व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि शहर के सार्वजनिक स्थानों के साथ ही रेलवे स्टेशन पर सवारी गाडिय़ों में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए भी ठंडे पानी की व्यवस्था स्काउट गाइड एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा भी प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में की जाती है ताकि गर्मी भरे मौसम में शीतल जल आम नागरिकों को उपलब्ध हो सके। पहले बड़े-बड़े मटकों में पानी भरकर टीन की चादर की नाली जैसा आकर बनाकर एक छोटा सा शेड बनाकर पानी पिलाने एक व्यक्ति बैठा करता था, अब मटके भरकर गिलास आदि रखकर स्वयंसेवा के माध्यम से लोग पानी पीते हैं, मटकों के साथ ही ठंडे पानी की केन रखी गई हैं, जिनसे लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं।