ज्ञान भक्ति और वैराग्य की त्रिवेणी ही मनुष्य को भवसागर पार कराती है

Post by: Rohit Nage

इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर में व्यास पीठ से श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन ग्राम बोरतलाई के आचार्य सुमितानंद ने कहाकि भक्ति ज्ञान और वैराग्य से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो सकता है। परम मंगलमय पावन फाल्गुन मास में आयोजित कथा में आचार्य की मधुर वाणी से सोमवार को सभी श्रोताओं को श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताया।

उन्होंने कहा कि अकेले ज्ञानवान होने से अथवा भक्ति प्राप्त कर लेने से अथवा अकेले वैराग्य ले लेने से जीवन सफल नहीं होता। भक्ति ज्ञान और वैराग्य की त्रिवेणी ही भवसागर पार करा सकती है। इस कथा के यजमान श्रीमती निर्मला गौरी शंकर सोनिया ने श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में पहले विधि विधान से पूजन अर्चन किया। श्रीमद्भागवत को अपने शीश पर धारण किया। कथा व्यास आचार्य सुमितानंद रथ पर सवार हुए एवं सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष कलश यात्रा में शामिल रहे।

प्रथम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जीवन में कर्म ही प्रधान है। जो जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल प्राप्त करेगा। कर्म की प्रधानता को निरूपित करते हुए प्रथम दिवस में महात्मय एवं भक्ति ज्ञान वैराग्य की कथा एवं धुंधकारी की कथा का वर्णन किया। मंगलवार की कथा दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक होगी। समस्त धर्म प्रेमी अधिक से अधिक संख्या में अमृतमयी कथा श्रवण लाभ लेने कथा संयोजक घनश्याम तिवारी ने सभी धर्म प्रेमी सज्जनों एवं माता बहनों से निवेदन किया है। कथा के प्रारंभ में सोनिया परिवार के राजेश एवं अनिता सोनिया ने व्यासपीठ का पूजन किया।

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