भागवतकथा का तृतीय दिवस
इटारसी। वर्तमान कलिकाल कलियुग में प्रत्येक जनमानस को अपने.अपने धर्म कर्तव्य का पालन सत्यता से करना चाहिए। चुंकी धर्म निर्वाहन ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। उक्त ज्ञान जबलपुर के कथा व्यास आचार्य रमेश दुबे ने आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस कहे। भागवत सत्संगी स्व शारदाबाई मंुशीलाल गोस्वामी की पुण्य स्मृति में आयोजित कथा में उन्होंने कहा कि धर्म आधारित कर्म ही मानव जीवन में सफलता प्रदान करता है। लेकिन सांसारिक सुविघाओं के लिए धर्म का त्याग करना या धर्म परिवर्तन करना। और करवाना दोनो अनुचित है। चूकि ईश्वर उन्ही लोगों की पूजा भक्ति को स्वीकारते है जो अपने सामाजिक धर्म के अनुसार सांसारिक जीवन व्यतीत करते है। भक्त प्रहलाद की कथा प्रसंग का धर्ममय वर्णन करते हुए कहा कि धर्म निर्वाहन में अपने सगे संबंधी भी सामने आ जाये तो उनका विरोध भी साकारात्मक रूप से किया जा सकता है। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक सुरेश गोस्वामी, आयोजन समिति के सदस्य नरेश चैहान, आलोक शुक्ला, दिलीप गोस्वामी, भगवतपुरी गोस्वामी, दिनेश गोस्वमी, जयप्रकाश गोस्वामी, करिया पटेल मौजूद रहे।