कविता: यह सदी…

Post by: Poonam Soni

सूरज ने रोशनदान से प्रवेश किया,
किसी ने बर्तन भर दूध लिया,
किसी ने ब्रश पर ‘पेस्ट‘ रखा,
कोई बच्चा् चीख कर रोया,
कोई सुबह देर तक सोया।
आफिस की फाइल घर पड़ी रह गई,
पापा की मार विनी चुपचाप सह गई।
चाय उफन कर केतली से गिरी,
बातों में सब भूल गई महरी।
सही है यह बात सौ-फीसदी,
ऐसी ही रहेगी ये वाली भी सदी।

vipin pawar

विपिन पवार(Vipin Pawar), उप महाप्रबंधक ( राजभाषा )
मध्य, रेल मुख्या(लय, मुंबई
संपर्क – 8828110026

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