इटारसी। शासकीय महात्मा गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के द्वारा अंग्रेजी भाषा के अध्यापन एवं अध्ययन में साधन एवं तकनीकी के उपयोग विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।
महाविद्यालय में संचालित जनभागीदारी समिति के द्वारा प्रायोजित इस संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञ देश के विभिन्न राज्यों से सम्मलित हुए। इस सेमिनार का उद्घाटन जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष पंकज चौरे, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रमोद पगारे, विषय विशेषज्ञ छत्तीसगढ़ के डॉ. जीए घनश्याम, तथा इंदौर के डॉ. अशोक सचदेवा के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। स्वागत गीत राशि खाड़े ने प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के संयोजक अंग्रेजी विभाग के प्रमुख डॉ. एम अहमद ने सेमिनार के विषय में विस्तार से प्रकाश डाला। विषय विशेषज्ञ डॉ. जीए घनश्याम ने संबोधित करते हुए बताया कि वर्तमान में अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए अनेकों तकनीकी साधन है परंतु इससे केवल रोबोट ही बन सकते हैं। वास्तव में अंग्रेजी भाषा की आत्मा को सीखने के लिए एक शिक्षक ही सक्षम हो सकता है।
पंकज चौरे ने अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में अंग्रेजी भाषा सीखने के लिए अनेको अवसर है। इस प्रकार के सेमिनार के आयोजन के लिए महाविद्यालय को बधाई दी। प्राचार्य डॉ. पीके पगारे ने कहा कि जनभागीदारी समिति के सहयोग से इस प्रकार के सेमिनारों का आयोजन संभव हो पा रहा है, जिससे विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं।
डॉ. अशोक सचदेवा ने अंग्रेजी भाषा सीखने के विभिन्न तकनीकी के बारे में जानकारी दी। नरसिंहपुर के डॉ. चन्द्रशेखर राजहंस ने बताया कि किस प्रकार अंग्रेजी में प्रवीण हो सकते हैं। डॉ. सुधीर दीक्षित होशंगाबाद, डॉ. गीतांजलि नायर सीहोर ने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. सुधीर दीक्षित होशंगाबाद ने 200 से अधिक अंग्रेजी से हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है। इसके लिए महाविद्यालय ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया।
एमवीएम भोपाल के प्राचार्य, डॉ. नीरज अग्निहोत्री ने कहा कि अंग्रेजी सीखने के लिए आधारभूत व्याकरण की जानकारी आवश्यक है। शोधार्थियों एवं प्राध्यापकों ने शोधपत्र का वाचन किया। पूना से आये विनोद मंगवानी तथा अपर्णा श्रीवास्तव ने अपने शोधपत्र का वाचन किया। उत्कृष्ट महाविद्यालय, भोपाल के विभागाध्यक्ष डॉ. ज्ञान सिंह गौतम ने बताया कि अंग्रेजी एक लचीली भाषा होने से इसको विश्व भाषा होने का दर्जा प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर भूतपूर्व प्राचार्य डॉ. केएस उप्पल, सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. ज्ञानेन्द्र पांडे, जनभागीदारी समिति के सदस्य, प्राध्यापक तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।