घर एक मंदिर, माता-पिता देवता : तिवारी

Post by: Manju Thakur

इटारसी। श्री दुर्गा मंदिर परिसर शिवनगर चांदौन में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में तीसरे दिन कथा प्रसंग में धु्रव जी के वंश में अंग राजा के पुत्र वेन एवं पृथु महाराज के चरित्र, जड़भरत चरित्र, अजामिल और भक्त प्रहलादजी, भगवान नरसिंह जी की कथा सुंदर झांकी के साथ सुनाई गई। यजमान नाथूराम राय परिवार द्वारा करायी जा रही कथा में प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालु कथा सुनने आ रहे हैं। संत भक्त पं. भगवती प्रसाद तिवारी अत्यंत सुंदर तरीके से कथा वाचन कर रहे हैं।
आज की कथा में उन्होंने बताया कि प्रारब्ध से पुरूषार्थ बड़ा होता है। भगवान के बनाए इस संसार में अनेक साधु, संत, महात्मा, महापुरुषों का जन्म होता है। मनुष्य समाज को जाति, धर्म, ऊंच, नीच, छोटा, बड़ा, अमीर, गरीब भेदभाव से उपर उठाना चाहते हैं।
परिवार का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि घर एक मंदिर होता है, माता-पिता उस मंदिर के प्रत्यक्ष साक्षात देवता हैं, सन्तान उपासक होती है। उन्होंने कहा कि अपने हाथ की लकीरों को देखकर अपने भाग्य का निर्णय मत करो क्योंकि रेखाएं बदलती रहती हैं। भाग्य तो उनके भी हैं जिनके हाथ नहीं हैं। इसलिये अपने कर्म पर और परमात्मा में पूरा भरोसा रखो। भक्ति से ही मरण सुधरता है। बुद्धिमान होने के साथ धैर्यवान होना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि धैर्य के बिना बुद्धिमान भी गलत निर्णय ले लेता है। भगवान की भक्ति तर्क से नहीं, सतर्कता से करो, संदेह से नहीं, श्रद्धा से करो, भवसागर से पार हो जाओगे।

Leave a Comment

error: Content is protected !!