श्रीमद् भागवत कथा का समापन
इटारसी। श्रीमद् भागवत कथा संसार सागर में आये प्रत्येक जन को उनके मानव मूल्यों के महत्व से अवगत कराकर जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन लाती है। उक्त विचार संदलपुर के युवा आचार्य विवेकानंद तिवारी ने श्री द्वारिकधीश
मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस पर व्यक्त किये।
विश्राम दिवस में उपस्थित श्रोताओं को इस सात दिवसीय श्री हरिकथा के महत्व से अवगत कराते हुए आचाय विवेकानंद तिवारी ने कहा कि परम पिता परमात्मा की विशेष अनुकंपा से हमें यह मानव जीवन प्राप्त हुआ है। लेकिन
इसका मूल्य क्या है, इसकी महत्ता यह उन्हीं को पता होती है जो कथा सत्संग में अपने जीवन का कुछ समय अनिवार्य रूप से व्यतीत करते हंै। यह भागवत रूपी महापुराण महर्षि नारद की पे्ररणा से वेद व्यास जी ने इसी लिये
रचित किया है ताकि इसे श्रवण कर हम सब अपने मनुष्य कर्म का निर्वाहन पूर्ण सत्यता से कर सकें। समापन दिवस में आचाय सुदामा प्रसंग का वर्णन कर रहे थे तब समिति द्वारा द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण एवं उनके मित्र सुदामा की
लीला का सुन्दर चित्रण भी झांकियों के साथ किया जा रहा था। विश्राम दिवस पर मप्र विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीतासरण शर्मा भी शामिल हुए और समिति की और आचार्यश्री का शाल श्रीफल से अभिनंदन कर प्रशस्ति पत्र एवं
स्मृति चिन्ह प्रदान किये। इस अवसर पर आठों यजवान प्रमोद पगारे, मुन्ना भट्टी, शंकर तिवारी, नारायण सेन, नारायण दुंदभी, कादर जैन, धनराज कुशवाह एवं रमेश सेठी ने डा शर्मा का स्वागत किया।