इटारसी। संभवत: हिन्दु धर्म के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब लोगों ने नवरात्रि पर अपने घरों में ही मनाया। हालांकि कुछ स्थानों पर बनी मां की मढिय़ा में बच्चे जल चढ़ाने अवश्य पहुंचे। लेकिन, जितने भी देवीधाम हैं, सबके द्वार बंद हैं। नवरात्रि में होने वाली पूजन-पाठ, आरती, भोग आदि सब कुछ केवल पुजारी कर रहे हैं। सर्व ब्राह्मण समाज ने नवरात्रि के पूर्व ही यह घोषणा कर दी थी कि मंदिरों के द्वार बंद रहेंगे।
दरअसल, कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए इस तरह के ऐतिहासिक निर्णय लिये जा रहे हैं। नवरात्रि का पहला दिन लोगों ने अपने-अपने घरों में पूजा-पाठ करके मनाया। कुछ स्थानों पर बच्चों ने मढिय़ा पर जाकर जल अर्पण किया। शेष सभी देवी मंदिरों में भक्तों की अनुपस्थिति में ही कार्यक्रम आयोजित किये गये। जहां देवीधाम सलकनपुर में पहली बार भक्तों के बिना पहला दिन गुजरा तो वहीं इटारसी में श्री बूढ़ी माता मंदिर में पुजारी ने आरती, भोग, बाल भोग और शाम की आरती की। मंदिर समिति के सचिव जगदीश मालवीय ने बताया कि मंदिर के मुख्य द्वार पर ताला डाल दिया है। पुजारी ने आज माता का श्रंगार करके नवरात्रि के प्रथम दिन की फोटो सोशल मीडिया पर जारी की ताकि भक्त घर बैठे ही दर्शन कर सकें। नेशनल हाईवे पर ट्रैक्टर स्कीम के पास श्री खेड़ापति माता मंदिर में भक्तों के लिए बंद कर दिया है, समिति ने भक्तों से घर पर ही पूजा करने का अनुरोध किया है। इसी तरह से सभी देवी मंदिरों में केवल पुजारी ही नवरात्रि का पूजन कर रहे हैं।
मंदिर समिति ने की अपील
नयायार्ड स्थित खेड़ापति मंदिर समिति ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए भक्तों को मंदिर नहीं आकर केवल घरों में माता का पूजन करने का अनुरोध किया है। समिति ने मंदिर का द्वार बंद कर दिया है। यहां भी केवल पुजारी ही नित्य पूजन पाठ कर रहे हैं। खेड़ापति मंदिर समिति इंद्रानगर नयायार्ड ने कोरोना वायरस के संक्रमण से खुद के बचाव और दूसरों को बचाने के उद्देश्य से मंदिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देश के नाम की गई अपील को चस्पा किया है।
गुड़ी पड़वा का पूजन किया
शहर में रहने वाले महाराष्ट्रियन परिवारों ने आज नवसंवत्सर के प्रथम दिन गुड़ी पड़वा पर्व मनाया और अपने घरों के सामने गुड़ी की स्थापना कर सपरिवार उसका पूजन-अर्चन किया। मराठा समाज के पूर्व पार्षद राकेश जाधव ने बताया कि मराठा समाज में गुड़ी पड़वा के दिन घर में पताका और तोरण लगाने की परंपरा है क्योंकि गुड़ी का अर्थ विजय माना जाता है। उनके घर भी गुड़ी पूजन हुआ है। यही कारण है कि इस दिन लोग अपने घरों में पताका लगाते हैं जो उनकी और उनके परिवार की जीत को दर्शाता है। इसे घर के दक्षिण-पूर्व के कोने में यानी आग्नेय कोण में लगाना चाहिए, लेकिन आजकल लोग किसी भी दिशा में गुड़ी लगा देते हैं। पताका पांच हाथ ऊंचे डंडे में सवा दो हाथ की लाल रंग की पताका लगाना चाहिए।
घर पर ही चैतीचांद पर्व मनाया
सिंधी समाज के अनेक सदस्यों ने आज घर पर ही चैतीचांद पर्व मनाया। सुबह सिंधी कालोनी स्थित भगवान झूलेलाल के मंदिर में पूजारी व दो अन्य सदस्यों ने भगवान के जन्मदिन चैतीचांद पर पूजा-अर्चना की। इस दौरान मुख्य द्वार बंद रहा। पूजन के बाद मंदिर को बंद किया गया। लोगों ने अपने-अपने घरों में पूरे विधि विधान से भगवान के जन्मदिन पर पूजा-अर्चना की। शाम को सिंधी समाज के घरों में पांच दीपक जलाये गये और भजन-कीर्तन करके भगवान को याद किया।