बारिश होते ही पन्नी की बिक्री ने जोर पकड़ा

Post by: Manju Thakur

इटारसी। बारिश का मौसम आते ही बाजार में छाता, बरसाती, पन्नियों की बिक्री में तेजी आयी है तो छाता सुधारक छोटे दुकानदारों का धंधा भी चल निकला है। तेज बारिश में अपने घरों की छतों की मरम्मत और पानी भीतर जाने से रोकने के लिए पन्नियोंं की मांग बढ़ गयी है। रविवार को अवकाश के दिन भी इन चीजों की दुकानें खुली रहीं और उन पर अच्छी ग्राहकी रही।
बीते करीब चार दिन से लगातार बारिश होने से छाता-बरसाती के धंधे में उठाव आया है तो घरों की छतों से पानी को भीतर जाने से रोकने के लिए काली पन्नियां सबसे अधिक बिक रही हैं। जयस्तंभ चौक के आसपास छाता, छतरी, पन्नियों की दुकानों पर रविवार को भी अच्छी ग्राहकी रही। इटारसी बाजार में आसपास के ग्रामीण अंचलों की बहुत ग्राहकी होती है और गांवों में कच्चे मकानों की छतों पर काली पन्नियों से ढंककर पानी रोका जाता है। आदिवासी अंचलों में झोपड़ी की छतों पर काली पन्नियां ही काम आती हैं। इधर शहर में भी झुग्गियों में पन्नियों का ही उपयोग होता है। घास-पूस की छपरी के साथ ही काली पन्नियों का इस्तेमाल इनकी छतों में किया जाता है। बाजार में मोहन जैन नामक एक दुकानदार ने बताया कि पन्नियों की ज्यादातर मांग ग्रामीण अंचलों से होती है। लेकिन छतरी की डिमांड भी अधिक है जिनकी कीमत गुणवत्ता के मुताबिक 80 से 300 रुपए तक है।

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