भौतिकी का भय दूर करेंगे डॉ मारवाह, तो चमत्कारों का सच बतायेंगे डॉ नायक
इटारसी। देश के दो वैज्ञानिक इन दिनों इटारसी में हैं। विज्ञान के इस संगम में कर्नाटक मंगलुरु से डॉ. नरेन्द्र नायक और आईआईटी कानपुर से जुड़े चंडीगढ़ के डॉ.एमएस मारवाह आगामी दिनों में 20 घंटे स्कूल और कालेजों में बच्चों के बीच बितायेंगे। सोमवार की शाम को इटारसी पहुंचे दोनों वैज्ञानिकों ने मीडिया के समक्ष कुछ प्रयोग भी करके दिखाये। मंगलवार को एमजीएम कालेज से बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने का कार्यक्रम प्रारंभ होगा। इस दौरान युवा कम्युनिकेटर आशी चौहान भी उनके साथ रहेंगी।
विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर ने बताया कि प्रत्येक वैज्ञानिक को साल में कम से कम 100 घंटे 100 विद्यार्थियों के बीच बिताना चाहिये यह आव्हान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में आयोजित 105 वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में वैज्ञानिकों से किया था। इस आह्वान को मूर्त रूप देने उन्होंने वैज्ञानिकों और बच्चों के बीच सेतु का कार्य आरंभ किया है। इसी श्रृंखला में मैंगलोर से डॉ नरेंद्र नायक तथा आईआईटी कानपुर से जुड़े चंडीगढ़ के डॉ एमएस मारवाह इटारसी आये हैं। प्रथम चरण में वे 20 घंटे बच्चों के बीच बितायेंगे।
श्री पाराशर ने बताया कि डॉ नरेंद्र नायक समाज में व्याप्त अंधविश्वास के पीछे छिपे वैज्ञानिक तथ्यों का प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही चंडीगढ़ के डॉ. मारवाह बच्चों के बीच भौतिकी का भय दूर करने अनेक प्रयोगों का प्रदर्शन करेंगे। महाविद्यालयों, विद्यालयों, छात्रावासों के साथ सामाजिक संगठनों के बीच जाकर ये वैज्ञानिक बच्चों में वैज्ञानिक समझ को और बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
मानसे से पहले तर्क की कसौटी पर परखें : डॉ. नायक
मंगलुरु से आये डॉ. नरेन्द्र नायक ने आंखों पर पट्टी बांधकर किसी भी चीज का रंग और आकार बताना, ताश की गड्डी से किसी अन्य से एक पत्ता निकलवाकर बिना देखे बताना कि कौन से पत्ता है, हवा में हाथ घुमाकर चेन निकालना जैसी चीजों में चमत्कार नहीं बल्कि विज्ञान है, यह सारी चीजें वे बताएंगे। उन्होंने कहा कि सबमें वैज्ञानिक सोच विकसित हो, यह उनका उद्देश्य है। वे कहते हैं कि किसी भी चमत्कार को मानने से पहले उसे तर्क की कसौटी पर परखें और जो निष्कर्ष निकले, उसे मानें। उन्होंने कहा कि तुलसी के पत्तों से रेडियेशन कम होता जैसी बातों पर उन्होंने प्रयोग किया और इसे गलत साबित किया। जब उनसे गोबर की चिप से रेडियेशन कम होने की सच्चाई पूछी तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इसका प्रयोग नहीं किया, और बिना प्रयोग वे कोई दावा नहीं कर सकते। आगे वे इस पर प्रयोग करके सच्चाई जानेंगे, तभी कुछ कहेंगे।
ग्रहण की भ्रांतियां भी दूर करते हैं, वैज्ञानिक
डॉ. नरेन्द्र नायक का कहना है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कई प्रकार की भ्रांतियां फैलायी जाती हैं। वे पिछले चालीस सालों से सूर्य ग्रहण के दौरान नीचे ही बैठकर खाना खा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बच्चे ने उनसे कहा कि सूर्य ग्रहण के वक्त निकलने वाली किरणों से चर्मरोग होते हैं, उन्होंने तभी प्रयोग किया। वे स्वीमिंग शाट्र्स पर ग्रहण के वक्त स्वीमिंग करने लगे और उनको कुछ भी नहीं हुआ। ग्रहण के दौरान ही उन्होंने बच्चों को बिस्कुट भी खिलाये। उन्होंने यह अवश्य कहा कि सूर्य को ग्रहण के वक्त खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इससे रेटिना खराब हो सकता है। सूर्य ग्रहण देखने के लिए स्पेशल फिल्टर का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा देश मजबूत बने, इसके लिए वैज्ञानिक सोच बढ़ाने की जरूरत है। लोगों से अंधविश्वास खत्म नहीं होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है।