ज्ञान प्रदान करती हैं श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं: आचार्य दुबे

Post by: Poonam Soni

इटारसी। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं ज्ञान प्रदान करती हैं। इसे आत्मसात कर लिया जाए तो जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता है। उक्त उद्गार जबलपुर के आचार्य पं. रमेश दुबे ने इटारसी में व्यक्त किये। गोस्वामी गार्डन तवा कॉलोनी में श्रीमद् भागवतकथा के पांचवे दिन आचार्य श्री दुबे ने श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि इनसे आध्यात्मिक आनंद तो प्राप्त होता ही है, ज्ञान भी छिपा रहता है जिसे वही समझ पाता है जो इन लीलाओं को हृदय में धारण करता है। इसका बेहतर उदाहरण श्री वृन्दावन का वह जमना तट है जहां द्वापर युग में गोपियां नि:वस्त्र होकर जमुना जल में स्नान करती थीं। एक दिन भगवान बालकृष्ण ने इन सब गोपियों के वस्त्र उठाकर कदम के वृक्ष पर बैठ गए गोपियों को स्नान पश्चात अपने वस्त्र नहीं दिखे तो वह जल में से ही आवाज लगाने लगीं तब बालकृष्ण ने कहा ‘आपके वस्त्र यहां हैंÓ तब गोपियां बोलीं हम इस अवस्था में बाहर नहीं आ सकते, कोई देख लेगा। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा जिस प्रकार आपको सांसारिक जनों के सामने नि:वस्त्र आने पर शर्म आ रही है तो संसार की रचना करने वालों के सामने आने भी लाज आनी चाहिए। जिस नदी में आप सब नग्न स्नान करती हैं वह भी देवी के समान है और केवल जमना जी ही नहीं संसार के सभी जल सरोवर देवता समान होते हैं जिनमें नि:वस्त्र स्नान करने से पापकर्म की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर श्री राधाकृष्ण एवं गोपियों के साथ ही भगवान गोवर्धन की झांकी सजाई गई। महाआरती के साथ श्रीगोवर्धन महाराज को लगे छप्पनभोग का प्रसाद वितरित किया गया।

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