इटारसी। मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की पांचवी सूची जारी कर दी है। नर्मदापुरम जिले की किसी सीट से पार्टी ने अपना प्रत्याशी नहीं बदलकर पुराने चेहरों को ही दोहराया है। जबकि कांग्रेस ने लगभग सभी सीटों पर चेहरे पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले बदल दिये हैं। हालांकि राजनीतिक चर्चाओं में माना जा रहा है कि अभी चेहरे और भी बदल सकते हैं।
कहां, कौन और कब बदलेगा यह फिलहाल चर्चा में ही है, आज की हकीकत तो यह है कि भाजपा ने जिले में अपनी सभी सीटों पर तस्वीर साफ कर दी है। सबसे दिलचस्प मुकाबला होशंगाबाद (नर्मदापुरम) विधानसभा में होने वाला है, जहां दो भाई एकदूसरे के सामने चुनावी मैदान में होंगे। भाजपा से दो बार विधायक रहे और करीब डेढ़ महीने पूर्व ही कांग्रेस में शामिल हुए गिरिजाशंकर शर्मा कांग्रेस से मुकाबले में होंगे जबकि भारतीय जनता पार्टी ने विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा को ही मैदान में उतारा है। कभी अपनी टिकट कट जाने के बाद अपने संझले भाई गिरिजाशंकर शर्मा को चुनाव जिताने के लिए पसीना बहाने वाले छोटे भाई डॉ.सीतासरन शर्मा अब उनको चुनाव मैदान में हराने के लिए पसीना बहाएंगे।
एक दिलचस्प बात और है कि कभी भाजपा में गिरिजाशंकर शर्मा को जिताने के लिए दर-दर जाकर वोट मांगने वाले कार्यकर्ता अब उनको हराने के लिए डॉ.सीतासरन शर्मा के लिए वोट मांगेंगे। चुनाव बड़ा दिलचस्प तो होगा, शालीन भी होगा। क्योंकि दोनों भाई एकदूसरे के खिलाफ न बोलकर पार्टी के खिलाफ बोलेंगे। क्योंकि राजनीतिक मैदान में चुनाव कोई भी जीते, निश्चित तौर पर वे रिश्ते को नहीं हारने देंगे।
संझले भैया ने किया प्रचार शुरु
संझले भैया के संबोधन से परिचित पंडित गिरिजाशंकर शर्मा ने अपनी टिकट घोषित होने के बाद से ही मतदाताओं से, कार्यकर्ताओं से मिलना प्रारंभ कर दिया था। आज वे इटारसी में रहे और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात की। इटारसी में कांग्रेस प्रत्याशी का युवाओं ने जोरदार स्वागत किया। खेड़ा से लेकर रास्ते में कई जगह और रेलवे स्टेशन के सामने पेट्रोल पंप पर भी उनका स्वागत किया गया। उन्होंने बताया कि पार्टी कार्यकर्ता से भेंट कर, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की है।
चलते-चलते…
विगत 33 वर्षों से विधायक एक ही परिवार से बन रहे हैं, लेकिन 34 वे वर्ष में भी 33 सालों के विधायक आमने-सामने हैं। हालांकि पूर्व में पंडित गिरिजाशंकर शर्मा ने कहा था कि वे अपने भाई के सामने चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन अब उनका बयान है कि भाजपा को उनके भाई को पहले टिकट देना था, भाजपा कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं करती है। उनका मानना है कि परिवार में में राजनीति नहीं होना चाहिए। कुल जमा अब चुनावी राजनीति भी शालीनता से होगी। पिपरिया से ठाकुरदास नागवंशी और सिवनी मालवा से प्रेमशंकर वर्मा को भी टिकट मिल गया है, जबकि इन सभी का विरोध हुआ था। अब विरोधी क्या कदम उठाएंगे, इस पर लोगों की नजरें हैं।