जानिए हर दिन देवी के रूपों का महत्व
इटारसी। शारदीय नवरात्रि (Shardiya navratri) की शुरूआत 7 अक्टूबर यानि आज से हो गई है। हर जगह माता के अलग अलग रूपों की स्थापना की जाएगी। घरों में भी नौ दिनों तक देवी के रूपों की आराधना की जाएगी। बता दें कि इस हर साल माता अपने भक्तों को अलग अलग सवारी पर सवार होकर दर्शन देती है। जिसका अपना अलग महत्व होता है। माता की सवारी नवरात्रि के प्रथम दिन से ज्ञात की जाती है। माता की सवारी के बारे में देवी भागवत पुराण में बताया गया है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार माता रानी डोली पर सवार होकर आई। इसका मतलब महिलाओं का वर्चस्व बढेगा और उन्हें मान सम्मान मिलेगा।
दिन के अनुसार सवारी का होता है महत्व
नवरात्रि (Navratri) की शुरूआत सोमवार या रविवार को हो तो इसका अर्थ है कि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। वहीं, शनिवार और मंगलवार के दिन से नवरात्रि शुरू होगी तो माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। इसके साथ जब गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि का पर्व आरंभ हो तो इसका अर्थ ये है कि माता डोली पर सवार होकर आएंगी। इस बार शरद नवरात्रि का पर्व गुरुवार से आरंभ हो रहा है। इसका अर्थ ये है कि इस बार माता डोली पर सवार होकर आएंगी। माता रानी की डोली पर सवारी होने से महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा महिलाओं का मान सम्मान प्राप्त होगा परंतु महामारी बीमारी से अभी भी लोग परेशान रहेंगे।
यह है माता के रूप
प्रथम दिवस- शैल पुत्री पूजा- 7 अक्टूबर गुरूवार
द्वितीय दिवस- ब्रह्मचारिणी पूजा- 8 अक्टूबर शुक्रवार
तृतीय दिवस- चन्द्रघण्टा पूजा- 9 अक्टूबर शनिवार
चतुर्थ दिवस- कूष्माण्डा पूजा- 10 अक्टूबर
पंचम दिवस- स्कन्दमाता पूजा-10 अक्टूबर रविवार
षष्ठं दिवस- कात्यायनी पूजा-11 अक्टूबर सोमवार
सप्तम दिवस- कालरात्री पूजा-12 अक्टूबर मंगलवार
अष्टम दिवस- महागौरी पूजा- 13 अक्टूबर बुधवार
नवम दिवस- सिद्धिदात्री पूजा- 14 अक्टूबर गुरूवार
शारदीय नवरात्र का पहला दिन
गुरुवार 07 अक्टूबर को नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप यानि की मां शैलपुत्री पूजा (Maa Shelkputri Pooja) की जाती है। मां शैलपुत्री को सौभाग्य और शांति की देवी माना जाता है। मान्यता के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति के साथ ही उनकी कृपा से हर तरह के डर और भय दूर हो जाते हैं।