आ जाओ रूबरू करनी हैं दिल को इतनी बातें।
समझ नहीं पाते कैसे दिल में बसी हैं इतनी बातें ।।
कितने ही हैं अनकहे एहसास हमारे दिल में ,
अब कैसे लिख दें हम खत में इतनी बातें ।
कुछ सुलझा कुछ अनसुलझा इश्क का फ़साना ,
एक पहर से दूसरे तक जो चली हैं इतनी बातें ।
अब हो जाएं तुमसे मुसलसल कई मुलाकातें ,
किस तरह बयां हो पाएंगी , हैं इतनी बातें ।
अदिति टंडन (Aditi Tandan)
आगरा