धर्म की रक्षा के लिए छल करना अधर्म नहीं है

धर्म की रक्षा के लिए छल करना अधर्म नहीं है

इटारसी। जीवन से अगर बुराइयों को दूर करना है, धर्म की रक्षा करना है या कोई सत्कार करने में छल करना आवश्यक है, तो किया जा सकता है, क्योंकि धर्म की रक्षा के लिए किया चल अधर्म नहीं होता।
उक्त उद्गार मानस मर्मज्ञ सुश्री हेमलता शास्त्री (Hemlata Shastri) ने वृंदावन गार्डन (Vrindavan Garden) न्यास कॉलोनी में आयोजित श्री राम कथा समारोह में व्यक्त किये। उन्होंने श्री रामचरितमानस के बाली प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जिसमें मायावर समाहित हो जाता है वह अभिमानी और अहंकारी हो जाता है, जो दूसरों के साथ अपनों का भी भक्षण करने लगता है। ऐसा ही वानर राज बाली था, जिसने अपने भाई सुग्रीव को राज से निकालकर उसकी भारी आपको अपनी भारिया बना लिया था। जामवंत प्रसंग के माध्यम से अच्छे संस्कारों की चर्चा करते हुए कहा कि जो सक्षम व्यक्ति है, वह अपने बच्चों को कार की बजाय अच्छे संस्कार प्रदान करें क्योंकि संस्कार अच्छे होंगे तो बच्चे कार स्वयं खरीद लेंगे। उन्होंने बताया कि सत्कार में भी संस्कार होना चाहिए। स्वागत सत्कार शराब और तंबाकू जैसे व्यसनों से नहीं होना चाहिए। व्यसन जीवन की सबसे बड़ी बुराई है, जो मानव जीवन को खोखला कर देती है।
कार्यक्रम संयोजक जसवीर सिंह छाबड़ा (Jasvir Singh Chhabra), जगदीश मालवीय (Jagdish Malviya), मनोज सोनी (Manoj Soni), शरद गुप्ता (Sharad Gupta), अशोक खंडेलवाल (Ashok Khandelwal) आदि ने रामायण जी की आरती कर पूजन किया।

CATEGORIES
Share This

AUTHORRohit

error: Content is protected !!