इटारसी। विख्यात जैन आचार्य विद्यासागर महाराज (Jain Acharya Vidyasagar Maharaj) के शिष्य मुनि विशद सागर महाराज और मुनि निराकुल सागर महाराज का वर्षा योग चातुर्मास इटारसी में हो रहा है। मुनिजन नेमावर (Munijn Namewar) से पैदल विहार करते हुए इटारसी आए थे। रविवार को चातुर्मास के मंगल कलश का स्थापना समारोह नवमीं लाइन के संत निवास परिसर में हुआ। सकल जैन समाज व मंदिरों की समितियों एवं बाहर से आए श्रावकों ने मुनिद्वय के चरणों में श्रीफल अर्पित किए। जैन संस्कार पाठशाला के बच्चों ने आध्यात्मिक गीतों पर नृत्य और समाज की नई पीढ़ी में संस्कार और जॉब के कामकाज में व्यस्त जिंदगी पर आधारित नाटिका प्रस्तुत की।
अपने सारगर्भित प्रवचन में मुनि विशद सागर महाराज ने कहा – मुनियों के चरण गतिशील होते हैं और मन स्थिर होता है। वर्षाकाल में जीवों की हिंसा न हो इसलिए रुक जाते हैं। जैन मुनि अहिंसा धर्म का पालन करते हैं और दूसरों को भी यही उपदेश देते हैं।
जैन मुनि निराकुल सागर (Jain muni Nirakul Sagar) ने प्रवचन में कहा कि अपने धर्म व नियम पर अडिग रहना है। दूसरों की टिप्पणी से विचलित नहीं होना है। जैन मुनि आडंबर रहित रहते हैं। मुनि के समक्ष सब एक समान है। यही चाहते हैं कि युवा वर्ग सहज हो। उसके संस्कार अच्छे हों। वह दुर्व्यसन व फूहड़ फैशन में ना पड़े।
आयोजन में दानदाताओं को मंगल कलश पाने का सौभाग्य मिला। आयोजन में सबसे मुख्य बड़े बाबा का कलश एड. अरविंद गोयल व अरुण गोयल को प्राप्त हुआ। आचार्य ज्ञानसागर कलश संतोष कुमार जैन तथा तीन अन्य मंगल कलश एडवोकेट अरविंद कुमार जैन, पंकज कुमार महेंद्र कुमार सराफ, आशीष जैन भोपाल ने प्राप्त किए। चित्र अनावरण खातेगांव के रमेश कुमार व परिवार, दीप प्रज्वलन इटारसी के महेंद्र कुमार पंकज जैन ने किया। मुनिद्वय को जिनवाणी भेंट अजीत कुमार सुरेश चंद्र रपरिया और इंदौर के ललित कुमार अर्चना जैन ने की। मंच संचालन एड. दीपक जैन ने किया।