कृष्ण धर्म के साथ थे इसीलिए महाभारत में पांडवों की विजय हुई

Post by: Aakash Katare

इटारसी। रेलवे स्टेशन जीआरपी प्रांगण में श्री विष्णु महायज्ञ के आचार्य पंडित अशोक भार्गव एवं कर्मकांडी ब्राह्मण द्वारा यजमानों से पूजन कार्य कराया जा रहा है एवं यज्ञ में समिधा एवं शुद्ध घी छोड़ा जा रहा है। 28 वर्ष में आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यज्ञ की परिक्रमा लगाने एवं प्रवचन सुनने आ रहे हैं।

समारोह के सूत्रधार पंडित रामस्वरूप मिश्रा एवं संयोजक पंडित दीपक मिश्रा महोत्सव की सभी व्यवस्था देख रहे हैं। प्रतिदिन प्रवचन हो रहे हैं। प्रवचन में पशुपति नाथ धाम के पीठाधीश्वर आचार्य मधुसूदन महाराज ने कहा कि महाभारत कौरवों और पांडवों के बीच में हुई। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र एक और थे दूसरी और केवल पांच पांडव थे। परंतु इस युद्ध की विशेषता यह थी कि पांडवों के साथ धर्म का साथ देने के लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण स्वयं थे। आचार्य मधुसूदन शास्त्री ने कहा कि जब जब भी अधर्म बड़ा है पापियों के सर्वनाश के लिए समय-समय पर हर युग में ईश्वर ने जन्म लिया है।

योगेश्वर श्री कृष्ण का जन्म भी अधर्मियों के नाश के लिए हुआ था। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कई बार संधि के प्रस्ताव पांडवों की ओर से कौरवों तक पहुंचाएं, परंतु दुशासन और दुर्योधन एवं मामा शकुनी ने कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए। अंत में युद्ध हुआ और जीत पांडवों की हुई। आचार्य मधुसूदन ने कहा कि हमें इस प्रसंग से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि किसी भी व्यक्ति या राजा के पास कितनी ही संपदा क्यों ना हो परंतु उसके पास यदि धर्म नहीं है तो उसका पतन निश्चित है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!