नर्मदापुरम। अयोध्या (Ayodhya) में भगवान रामलला (Lord Ramlala) की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्व जिले में श्रीरामकथा के विशिष्ट चरितों आधारित ‘श्रीलीला समारोह’ का आयोजन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश शासन (Madhya Pradesh Government), संस्कृति विभाग (Culture Department) एवं जिला प्रशासन के सहयोग से जिले के पावन सेठानी घाट (Sethani Ghat) पर तीन दिवसीय श्रीरामचरित लीला समारोह में दूसरे दिन भक्तिमति शबरी कथा (Shabari Katha) का मंचन किया गया। जिसे देखने बढ़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का निर्देशन बालाघाट (Balaghat) के रूपकुमार बनवाले (Roopkumar Banwale) और उनकी टीम ने किया है।
इस अवसर पर विधायक डॉ सीतासरन शर्मा (Dr. Sitasaran Sharma), नगर पालिका अध्यक्ष नीतू महेंद्र यादव (Neetu Mahendra Yadav), जनपद अध्यक्ष भूपेंद्र चौकसे (Bhupendra Choukse) एवं अन्य जनप्रतिनिधि और बढ़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूब कर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती है।
भील समुदाय शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं, जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए।
भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में माता सीता की खोज में जब श्रीराम शबरी की कुटिया पहुंते तो वह भाव विभोर हो गईं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। कहते हैं कि शबरी ने श्रीराम को स्वयं चखकर सिर्फ मीठे बेर खिलाये, जिसे भगवान राम ने भी भक्ति के वश होकर प्रेम से खाए। शबरी की भक्ति देखकर श्रीराम ने उन्हें मोक्ष प्रदान किया। भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा भी सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं।