होशंगाबाद। इस महीने 30 नवंबर को वर्ष का आखिरी चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) लगने जा रहा है। पंडित शुभम दुबे ने बताया कि भारतीय समय के अनुसार दिन में 1:02 पर यह ग्रहण लगेगा 5:23 पर इस ग्रहण का मोक्ष होगा। नीमच के निर्णय सागर पंचांग के अनुसार यह ग्रहण भारत में कारगिल उत्तरकाशी लैंसडाउन बरेली अंबेडकर नगर कानपुर चित्रकूट रीवा श्रीकाकुलम इन नगरों तथा इन नगरों से पूर्व के सभी नगरों में दृश्य होगा
परंतु दक्षिण पश्चिमी भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका आदि में ग्रहण दृश्य नहीं होगा।
कोई महत्व नहीं
इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है इसमें किसी भी प्रकार का यम नियम सूतक आदि मान्य नहीं होगा। यह उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। पंडित अनुसार वर्ष का यह आखिर चंद्र ग्रहण वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में होगा। जिस समय चंद्र ग्रहण लगेगा उस समय व्यक्ति को अपने चंद्रमा को बलवान करने की कोशिश जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के मन पर किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। इससे व्यक्ति का मन शुद्ध और पवित्र रहता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार
जिस समय ग्रहण काल (Grahan kaal) लगे उस समय व्यक्ति को भगवान की कोई भी मूर्ति नहीं छूनी चाहिए। ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए। वहीं, सूतक काल ग्रहण लगने से पहले ही शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान खाना-पीना ग्रहण नहीं करना चाहिए 30 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 02 मिनट पर उपच्छाया से पहला स्पर्श 30 नवंबर की शाम 5 बजकर 23 मिनट पर उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श होगा। इस बार चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा धार्मिकमान्यता है कि चंद्र ग्रहण बेहद ही महत्वपूर्ण होता है।
चंद्रमा (Chandrama) को मन का कारक माना जाता है। ग्रहण जब चंद्रमा पर लगता है तो इसका सीधा असर व्यक्ति के मन पर पड़ता है। कहा तो यह भी जाता है कि चंद्रमा, पानी को अपनी ओर चंद्र ग्रहण के समय आकर्षित करता है। यही कारण है कि इस दौरान समुद्र की लहरें काफी ऊंचाई तक उठने लगती हैं। चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) के समय हवन, यज्ञ, और मंत्र जाप आदि किए जाते हैं क्योंकि मान्यता है कि ग्रहण के समय चंद्रमा को काफी पीड़ा होती है। इस दौरान जप-तप और दान-पुण्य का भी अधिक महत्व होता है।