होशंगाबाद। शासकीय नर्मदा महाविद्यालय (Government Narmada College) में आज इतिहास परिषद द्वारा इतिहास और सामाजिक न्याय विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में डॉ. मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री (Dr. Mohan Yadav Minister of Higher Education) मध्य प्रदेश शासन की उपस्थिति विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्पद रही। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. ओ. एन चौबे ने कहा कि छात्रों द्वारा ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन ही उन्हें सामाजिक बनाते हैं साथ ही वे देश के गौरवशाली इतिहास से भी परिचित होते हैं। डॉ. बीसी जोशी ने छात्रों के इस कदम को सराहनीय बताया तथा सामाजिक न्याय की अवधारणा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. हंसा व्यास ने विषय प्रवर्तन करते हुए सामाजिक न्याय विषय का संदर्भ और उद्देश्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि न्याय की तुलना में सामाजिक न्याय की अवधारणा व्यापक है और इसके मूल में लोक कल्याणकारी विचारधारा दिखाई देती है। विशिष्ट अतिथि के व्याख्यान में डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि हमारी प्राचीन सामाजिक न्याय व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था और पुरुषार्थ में निहित थी। उन्होंने बताया कि महाभारत और रामायण काल के विभिन्न घटनाओं में यथा शबरी ,जटायु ,वानर सेना का योगदान तथा विभिन्न दैनिक क्रियाओं जैसे गाय को रोटी देना, चिड़िया को पानी देना, भी हमारी संस्कृति की न्याय व्यवस्था का ही के ही एक रूप है। डॉक्टर के जी मिसर नागपुर अतिथि व्याख्यान में बोले कि वर्तमान समय में भीड़ और हिंसा ने सामाजिक न्याय के स्वरूप को बदल दिया है। उन्होंने बताया कि भारत दुनिया का सबसे प्राचीन देश है जिसमें महिलाओं को राजनैतिक सामाजिक रूप से सर्वोच्च पदों की प्राप्ति हुई है। डॉक्टर दिनेश चंद्र खंडेलवाल उज्जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि सामाजिक न्याय एक बहुआयामी शब्द है जिसका सबसे सरल अर्थ है कि समाज के सभी लोगों को समान रूप से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना। जिसमें महिला, दलित मजदूर, कृषक व सभी वर्ग शामिल होकर सम्मान से जीवन यापन कर सकें। शोधार्थी राजीव गुप्ता ने महात्मा गांधी के न्याय दर्शन पर अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। हेमराज धोटे रिसर्च स्कॉलर ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। रिषभ राठौर, तथा अन्य विद्यार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया। आभार डॉ. कल्पना भारद्वाज नरिपोर्टिंग, डॉ. अंजना यादव ने की। भव्या चौहान ने कार्यक्रम का संचालन तथा किया। तकनीकी सहयोग अश्विनी यादव, मनोज यादव ने किया। डॉ. एस सी हर्णे, डॉ. संजय चौधरी, डॉ. बोहरे, डॉ. रश्मि तिवारी सहित सभी प्राध्यापक तथा अन्य स्थानों के प्राध्यापक शोधार्थीै, विद्यार्थी उपस्थित रहे।