पत्र संपादक के नाम
महोदय,
न्यास कॉलोनी में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमशंकर मिश्र, अधिवक्ता एवं नोटरी हिमांशु मिश्र, युवा पत्रकार तथा कवि, अधिवक्ता सुधांशु मिश्र के निवास के ठीक सामने नगर सुधार न्यास ने कॉलोनी के निर्माण के समय सामुदायिक भवन व खेल के मैदान के लिये जगह छोड़ी थी। अधिवक्ता अनिल शर्मा जब नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष बने तो उन्होंने वहां दुकानें बना दीं।
कहने को एक वाचनालय है जो लगभग बन्द जैसा है। तत्कालीन नगर सुधार अध्यक्ष अनिल शर्मा की योजना तो न्यास द्वारा हर छोड़ी गई जगह में दुकानें बनाने की थीं। उसमें पानी की टंकी स्थित पार्क के लिये छोड़ी गई जगह भी शामिल थी।
मगर कॉलोनी के रहवासियों के कड़े विरोध एवं लोकसभा चुनाव के नजदीक होने के कारण तत्कालीन सांसद सरताज सिंह के हस्तक्षेप के चलते अनिल शर्मा अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाए। अन्यथा उपरोक्त खाली स्थानों में पार्क की जगह दुकानें बन गई होतीं और किसे आबंटित होतीं ये भी जगजाहिर है।
बाद में हुआ ये कि पार्क के लिए इन छोड़ी गई जगहों में से दो स्थानों पर तो धार्मिक कार्यों के लिये अतिक्रमण कर लिया गया। भला हो अनिल भैय्या का जिन्होंने आटा चक्की के सामने वाली जगह में पेड़ पौधे तथा बच्चों के लिये झूले आदि लगवाकर मंदिर के क-र्ता ध-र्ताओं की योजना निष्फल कर दी। हालांकि नया मन्दिर बनने के बावजूद पुराने मंदिर की आड़ में अतिक्रमण बरकरार है।
जिसका प्रत्येक गुरुवार को धड़ल्ले से खुलेआम व्यवसायिक उपयोग हो रहा है जबकि माननीय न्यायालय ने मंदिर की आड़ में किये गए अतिक्रमण को हटाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। अब इसे न्यायालय की अवमानना न कहें तो क्या कहें। दरअसल इस सबके पीछे एक सराफा व्यवसायी की ताकत का इस्तेमाल हो रहा है।
खैर, न्यास की निष्क्रियता और लापरवाही के चलते इन छोड़ी गई जगहों में लगभग आधा दर्जन से भी अधिक मन्दिर बन गए हैं जिनको कोई माई का लाल नहीं हटा सकता। चलिये इसकी चर्चा फिर कभी। फिलहाल बात कॉलोनी के उत्तर में सामुदायिक भवन तथा खेल के मैदान के लिये छोड़ी गई जगह की। यही वो मैदान है जो इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है।
यही वो मैदान है जो सबकी आंखों में खटक रहा है। यही वो मैदान है जो मंदिर की आड़ में किये जा रहे अतिक्रमण से बचा हुआ है । यही वो मैदान है जिसमें आनन-फानन में पानी की टंकी बना दी गई जिसका वॉल्ब टूट जाने के कारण इस मैदान में हजारों लीटर पानी भर जाने से कीचड़ मच गई थी।
वार्ड की पार्षद एवं राजस्व समिति की सभापति अमृता मनीष ठाकुर की सक्रियता से टूटा हुआ वॉल्ब ठीक करवा दिया गया। इधर जल कार्य समिति की सभापति गीता देवेन्द्र पटेल का कथन बेहद लापरवाही भरा है। उनका ये कहना है कि उन्हें इसकी कोई खबर नहीं। जबकि उन्हें शहर भर की खबर रहती है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि इस मैदान में जबर्दस्ती बनाई गई पानी की टंकी से ओव्हर फ्लो होकर रात भर हजारों लीटर पानी बहता रहा और नगरपालिका प्रशासन ने किसी जिम्मेदार कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। इस मैदान को गत दिनों अनुपयोगी बताया गया है । क्या यह मैदान को हड़पने की किसी साजिश का हिस्सा है ?
वार्ड पार्षद एवं राजस्व समिति की सभापति अमृता मनीष सिंह ठाकुर के अनुसार नगरपालिका एक करोड़ रुपये की राशि से यहां पार्क विकसित किया जायेगा। बचे हुए हिस्से में कम्युनिटी हॉल, वाचनालय, संजीवनी क्लिनिक आंगनवाड़ी बनाया जाएगा। हालांकि इसके लिए पहले से ही बने हुए भवन का उपयोग किया जा सकता है।
उसी का विस्तार कर सामुदायिक भवन भी बनाया जा सकता है। जिसे ‘महाराणा प्रताप सामुदायिक भवन’ नाम दिया जाने से एक अच्छा संदेश जाएगा। खैर, मेरा निवेदन ये है कि इस मैदान को खेल के मैदान के रूप में ही विकसित किया जाए क्योंकि कॉलोनी में पहले से ही तीन पार्क उपलब्ध हैं।
जिसमें प्रकाश उद्यान तो अब नजूल पार्क से भी बेहतर बन गया है । धन्यवाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक डॉ सीतासरन शर्मा, आभार नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे, शुक्रिया मुख्य नगरपालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले।
विनोद कुशवाहा
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