: रोहित नागे –
सरकारी फैसले, बड़े हास्यास्पद होने लगे हैं। कोविड संक्रमण का भय बताकर सदियों से लगने वाले मेले, धार्मिक उत्सवों को निरस्त किया जा रहा है, जबकि चुनावों में सभाएं, राजनीतिक रैलियां मानो कोविड प्रूफ होती हैं। स्थानीय अधिकारियों से बात करें तो जवाब मिलता है, हम तो केवल आदेश का पालन करते हैं, नीतिगत निर्णय ऊपर से ही होते हैं। हाल ही में सैंकड़ों वर्ष से लग रहे बांद्राभान मेले को निरस्त कर दिया। यह सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक के साथ ही ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण था। आदेश में कहा कि कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम एवं मध्यप्रदेश शासन गृह विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुक्रम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जिले के ग्राम रायपुर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले बांद्राभान मेले के आयोजन को इस बार निरस्त किया गया है। बांद्राभान मेला कोविड का भय बताकर पिछले दो वर्ष से निरस्त किया जा रहा है, जबकि इस दौरान कई चुनाव, उपचुनाव, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों की सभाएं हो गयीं।
हास्यास्पद तो यह भी लगता है कि कई जुलूस भी इस दौरान निकाले गये और कुछ अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भीड़ भी रही। इन सारी चीजों को देखकर लगता है कि शासन-प्रशासन में बैठे लोग जनता को बुद्धिहीन मानते हैं और जैसे चाहे वैसे निर्णय ऊपर से थोप दिये जाते हैं। सवाल यह है कि क्या सभाओं, रैलियों, जुलूस में कोविड-प्रूफ व्यवस्था रहती है, केवल मेलों में कोरोना का वायरस लोगों की तलाश में घूमता रहता है।
एक और निर्णय देखें कि एक तरफ तो भीड़ बताकर बांद्राभान मेला निरस्त कर दिया, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के 15 नवंबर को भोपाल में होने वाले कार्यक्रम के लिए पूरे प्रदेश से आदिवासियों को भोपाल भेजने के लिए रात-दिन एक किया जा रहा है। इटारसी और उसके आसपास ही आधा दर्जन से अधिक ऐसे स्थान चिह्नित किये गये हैं, जहां आदिवासियों का सत्कार होगा और यहां से एकत्र करने के बाद उनको भोपाल ले जाया जाएगा। पूरा शासकीय अमला आदिवासियों की आवभगत के लिए रात-दिन एक कर रहा है। बाकायदा सभी की ड्यूटी लगायी गयी है।
बांद्राभान मेला निरस्त करने के पीछे कहा गया कि मेले में हरदा, बैतूल, सीहोर, राजगढ़ ,भोपाल, नरसिंहपुर, खंडवा एवं रायसेन जिले से श्रद्धालु और व्यापार आते हैं, कोरोना संक्रमण के प्रसार की आशंका के दृष्टिगत उक्त जिलों के कलेक्टर से अनुरोध किया है कि वे अपने जिले में जनसंपर्क अधिकारी, संचार माध्यमों, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से मेले के निरस्त करने की सूचना का प्रचार-प्रसार करें ताकि श्रद्धालुओं एवं व्यापारी मेले के लिए प्रस्थान ना करें। केवल आठ या दस जिलों से आने वाले कुछ सैंकड़ा व्यापारियों को रोका गया जबकि संपूर्ण प्रदेश से आदिवासियों को भोपाल में एकत्र किया जा रहा है। इस निर्णय से तो यही कहा जा सकता है कि रैली, सभाएं कोविड प्रूफ होती हैं, जबकि मेलों में कोरोना का वायरस शिकार की तलाश में घूमता है और सरकार को अपनी जनता की चिंता है, इसलिए मेला निरस्त कर दिया है।
ROHIT NAGE
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