इटारसी। श्री रावतपुरा सरकार धाम में 31 दिसंबर को 108 श्री रामार्चा महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। नर्मदापुरम से रावतपुरा भक्त मंडल के सैकड़ों सदस्य इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। देवताओं, ऋषि मुनियों, साधु संतों ने लोक शांति एंव जनकल्याण के लिए आदिकाल से इस परंपरा को जारी रखा है।
श्री रामार्चा अनुष्ठान वैदिक सभ्यता के सोलह संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। श्री रामार्चा सकल ब्रम्हांड का पूजन है, ब्रह्मंड के प्रत्येक कण में रमा हुआ तत्व है, राम, शास्त्र कहते हैं कि रमन्ते योगिन: अस्मिन सा रामं उच्यते अर्थात योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं, वो तत्व है, राम। राम सर्वत्र हैं, राम सर्वव्यापी हैं, इसलिए इस अनुष्ठान का शास्त्रों में भी विशेष महत्व है। श्री रामार्चा स्वयं आदियोगबी भगवान शंकर द्वारा प्रदत्त विद्या है, इस एक यज्ञ का फल हजारों अश्वमेध यज्ञ के बराबर है, जो व्यक्ति इस अनुष्ठान में शामिल होता है, उसके समस्त पाप मिट जाते हैं।
कष्टों का निवारण होने के साथ शांति, समृद्धि, शक्ति और विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह मनवांछित फल देने वाला अनुष्ठान है। रावतपुरा भक्त मंडल के सदस्य चंचल पटेल ने बताया कि जिले से भी सैकड़ों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होने रावतपुरा पहुंचेंगे। प्राचीन काल में लगातार ऐसे आयोजन होते रहे, जिनमें समाज के सभी वर्गो के लो शामिल होकर नई उर्जा प्राप्त करते थे। वर्तमान में व्यस्त जीवनशैली ने जिस व्यापक स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है, इसलिए इनकी संख्या कम हो गई है।
श्री रावतपुरा सरकार हनुमान जी महाराज की प्रेरणा से परम पूज्य महाराज श्री इसके दिव्य और भव्य स्वरूप को विस्तृत करने जा रहे हैं। एक साथ 108 रामार्चा यज्ञ अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा।
संत रविशंकर जी महाराज कहते हैं कि जो मनुष्य इस अनुष्ठान में शामिल होता है, वह बेहद भाग्यशाली है, इस अनुष्ठान से लोग शांति, कृपा, आशीर्वाद, समृद्धि, के साथ मुक्ति मोक्ष के मार्ग को प्राप्त करते हैं। श्री रामार्चा भगवान का नाम है, जिसमें अपने इष्ट अपने आराध्य का स्मरण करते हुए भक्त अर्चन करता है। अर्चन एवं अनुष्ठानों का वैदिक एवं सनातन परंपरा में विशेष महत्व है। श्री रावतपुरा धाम में ललितासहस्त्रार्चन, श्री विष्णु सहस्त्राचर्न, श्री गणेश अर्चन समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम लगातार जारी रहते हैं।