– राजधानी से पंकज पटेरिया :
खुशी बांटने से खुशी मिलती है ठीक वैसे ही जैसे आपके हाथ में इत्र का एक फुआ है आपने खुद को लगाया और अपने हाथ से दूसरे की शर्ट पर लगा दिया। पार्क में बच्चे खेलते है। आप भी उनके साथ शामिल हो कर स्वयं भी खुश होंगे, उनकी खुशी भी बढ़ाएंगे। निदा फाजली साहब ने क्या खूब लिखा है – घर से मस्जिद दूर चलो ऐसा कर ले, किसी रोते हुए बच्चे को मनाया जाए।
रोजमर्रा के जीवन खुशी के पल चुनिए खुशी खुशी ही खिलती दिखेगी सब तरफ। प्रख्यात बाल साहित्यकार और साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे कहते हैं बच्चे तो परमात्मा की रूप है, गौर से देखिए इन विराट के दर्शन होते हैं। सुप्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री आचार्य गुज्ज़ी भाई कहते हैं तुम बालक की खिलखिलाती हंसी को सुनो और उसमें विराट के अठहास खोजो। तुम बालक के उल्लास को देखो और उसमें नटराज के नृत्य को खोजो। खुशी हमारे अंदर होती है जैसे फूल में सुगंध होती है, फलों में रस छुपा रहता है मिट्टी में सुगंध होती है। इसी तरह खुशी सर्वत्र व्याप्त रहती है खुशी बाहर है भीतर है। खुशी के कारण भी है खुशियां कारण से भी है पर खुशी बहुत प्राकृतिक है। फिसल पट्टी से फिसल रहे नन्हे बच्चों को देखिए कितने खुश हैं।
आप भी पार्क गए हैं अपने छोटे नन्हे बेटे चिरंजीव चीकू को लेकर उसे झूला झूला रहे हैं। चुटकी बजाकर इशारा करके आओ आओ कहकर चलाना सिखा रहे हैं। देखिए, कितनी प्यारी पवित्र दूधिया हंसी उसके चेहरे पर उतर रही है। खुशी से चमकता उसका चेहरा देखकर आप भी इस खुशी से सिर से पांव तक खुशी से भर जाते हैं। खुशी सुनेपन का संगीत है खुशी भीड़ में भी मीठा गीत घोल देती है। बच्चों की शैतानी में खुशी है तोतली आवाज में पापा हम भी ऑफिस चलेंगे में भी खुशी है। दाल चावल खाते हुए नन्हे हाथों से हाथ पैर मुंह पर और कपड़े पर भी लगा लेते हैं यह भी खुशी की वजह है। पापा जी गाल फुला कर हल्की मुके मार कर फूफू की आवाज निकालते और बच्चे किलकारी से हंस देते चांदी की घंटियां से बज जाती। यह भी खुशी है खुशी मैं मीठी गहरी नींद आती है। खुशी में खूब काम भी आदमी करता है। यहां तनाव की गुंजाइश नहीं रहती। मेरे एक मित्र जयंत भारद्वाज ने अपने बैंक में म्यूजिकल सिस्टम लगा रखा था फिजा में जैसे घुंघरू बजने लगे थे। सारा स्टाफ खुश खुश रहने लगा था। सेविंग बैंक के काउंटर पर बैठने वाली एक मैडम जो अक्सर अपनी किसी परेशानी की वजह से खींची खीजी और तनाव में रहती थी, उनका सुंदर चेहरा जो उदास रहता था। इस बदली स्थिति से खिले गुलाब सा लगने लगा था। यह सब उन्हें मिली खुशी का ही कमाल था।
मेरा आना जाना भी उस दफ्तर में होता था। मैंने महसूस किया के अंदर कदम रखते ही मन को बहुत अच्छा लगता था। सबके हंसी खुशी से भरे चेहरे देखकर भी एक अव्यक्त खुशी से मैं भी भर जाता था। आज की मशीनी भागदौड़ वाले जीवन में बहुत टेंशन है। आदमी के साथ हम छोटी-छोटी खुशियां घर आंगन में ढूंढ कर खुशी से भर सकते हैं। जीवन मे जब तक फुर्सत मिले करीने से झांट दीजिए। छोटी सी प्यारी क्यारी की खरपतवार को उखाड़ फेंक दे। बच्चों के नन्हे हाथों में भी थमा दीजिए। छोटी सी खिलौने वाली खुरपी आप जो कर रहे हैं। उनका मन है तो उन्हें भी करने दीजिए। बच्चों के खिलौने स्कूटर बाइक यह गुड्डा गुड्डी यह सब खुशी के सामान है। पुराने जमाने में पुराने कपड़ों से मां, जीजी आदि गुड्डा गुड्डी बनाते थे। काजल से टिकली से उनके चेहरे सजीव हो उठते थे।रोटी बनाती हैं थोड़ा सा आटा रानी बिटिया को ही दे देती हैं। वह अपने नन्हे हाथों से ऑडी टेडी रोटी छोटे से पट्टा बेलन पर बनाकर खुश हो जाती है आप भी खुश हो सकते हैं। वाह वाह उसे प्रोत्साहन देकर पीठ थपथपा कर लीजिए खुशी छा गई और गई घर भर के वातावरण के पैरों में घुंघरू बांध गई।
एक मोहक सुरीला संगीत जो सबको मोहित कर देता है। खुशी तो खुशबू है ठीक मेहंदी की तरह आप बांटते हैं ,हाथ रंग जाते हैं खुशबू लगाने के पहले फैल जाती है। अब देखिए प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और साधना जी नर्मदापुरम लौटते हुए मंडीदीप में रास्ते पर भुट्टे बेचने वाले के पास रुक गए। वहीं सड़क पर खड़े खड़े उन्होंने भुट्टो का मजालिया भाभी ने भी लुत्फ उठाया। उस पल को सब ने देखा होगा। मुख्यमंत्री के साथ साथ भुट्टा विक्रेता भी कितना खुश दिखाई दे रहा था। यह अप्रत्याशित खुशी थी इसे देखकर हजारों लोग भी खुश हुए। उस तरह से खुश रहिए औरों को भी खुशी बांटिए। देखिए खुशी बगैर जिंदगी अधूरी है, सोचिए खुशी कितनी जरूरी है। वह दूर रहकर भी खुश है बात हो ना हो फिर भी खुश हैं, उनकी खुशी में हमारी खुशी है वह खुश है इस बात पर हम खुश हैं।
नर्मदे हर
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार, भोपाल
9340244352 ,9407505651