– कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी पूछ रहे हैं सवाल
– भाजपा में भी बगावत होने का डर कम नहीं
इटारसी। बगावत और बवाल, भाजपा की सूची जारी होने के बाद जितना होना था, हो लिया। अब मान-मनौव्वल का दौर गुपचुप तरीके से चल रहा है। पार्टी के जिम्मेदार नेता कुछ भी कहने से बच रहे हैं, जबकि जिनको टिकट नहीं मिली, नाराज तो हैं, परंतु खुलकर कहने के बजाये पार्टी लाइन से बाहर नहीं जाएंगे, अधिकृत प्रत्याशी के लिए काम करेंगे। हमारा प्रत्याशी तो पार्टी का चुनाव चिह्न है, जैसी बात कर रहे हैं। हालांकि किसके मन में क्या है, वह परिणाम को कितना प्रभावित कर सकता है। मानेंगे या मन की करेंगे, यह सब 22 जून को नाम वापसी के बाद ही पता चलेगा।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी से अधिकृत प्रत्याशी घोषित होने के बाद भी कुछ नेताओं ने नामांकन जमा किये हैं, यदि वे बगावती नहीं हैं, पार्टी की मानते हैं, तो फिर अधिकृत सूची के बाद नामांकन क्यों? यही बातें न सिर्फ चर्चा का विषय बन रही हैं, बल्कि अधिकृत प्रत्याशियों की चिंता का सबब भी बन रही हैं। अब टिकट मांगना तो पार्टी के हर नेता और कार्यकर्ता का अधिकार है, लेकिन जब सूची ही जारी हो जाए तो फिर टिकट की आस या नामांकन जमा करना संदेह को तो जन्म देता ही है। इस पर आला नेताओं की चुप्पी और जिम्मेदारों का कॉल अटेंड नहीं करना भी चिंता को बढ़ाता है।
टिकट से पूर्व क्या हुआ सब जानते
भारतीय जनता पार्टी में टिकट वितरण प्रक्रिया के दौरान क्या-क्या हुआ कौन नहीं जानता? कितने भी गुप्त तरीके से चर्चाएं हुईं, नाम तय किये गये, लेकिन फिर भी कुछ बातें तो बाहर आ ही रही थीं और चिंता बढ़ा रही थी। जो लोग टिकट की दौड़ में नहीं थे, पार्टी के लिए काम करने की इच्छा रखते वे अधिक चिंतित थे कि कैसे मतदाताओं के पास जाएंगे। उनके अपने नेता को टिकट नहीं मिली तो वे मायूस हो गये। भाजपा के जिम्मेदार नेता भले ही कहें कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ता अनुशासित हैं, और प्रत्याशी कोई भी हो, वे जीत के लिए काम करेंगे, लेकिन यह कितना सच है, कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम करेंगे, घर बैठ जाएंगे, या फिर काम का दिखावा करेंगे, यह नाम वापसी के बाद और प्रचार प्रारंभ होने पर पता चलेगा।
सूची जारी नहीं होने से बढ़ रही चिंता
इधर कांग्रेसियों की चिंता बढ़ रही है। स्थानीय स्तर के जिम्मेदारों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर पार्टी ने सूची जारी क्यों नहीं की है? कांग्रेस की सूची जारी होने में हो रही देरी से उनकी चिंता बढ़ रही है, जो स्वयं को प्रत्याशी मानकर चल रहे हैं। जिन वार्डों में पार्टी से केवल एक ही प्रत्याशी ने नामांकन जमा किया है, उसका नाम आना तो तय है, लेकिन जहां दो या दो से अधिक नाम हैं, वे प्रत्याशी चिंतित है। उच्च स्तर के नेताओं से स्थानीय स्तर के नेताओं को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। लेकिन, सूत्र बताते हैं कि जिस तरह से वार्ड 15 के लिए भाजपा में खींचतान थी, कांग्रेस में भी कमोवेश इसी वार्ड की टिकट पाने के लिए चल रही कवायद से आला नेता कुछ निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
बगावत का डर दोनों पार्टियों में
दरअसल, भले ही भारतीय जनता पार्टी ने अधिकृत सूची जारी कर दी हो, लेकिन एक वार्ड से दावेदारों की संख्या अधिक होने से बगावत का डर अब भी पार्टी के नेताओं को सता रहा है। सूची जारी होने के बाद कुछ नेता जो टिकट के दावेदार थे, घर बैठे गये, वे न तो दूसरे प्रत्याशियों के नाम निर्देशन पत्र जमा करने के वक्त दिखे, ना ही पार्टी के अन्य नेताओं की तरह कहीं सार्वजनिक दिखाई दे रहे हैं। केवल, सोशल मीडिया पर धन्यवाद, निर्दलीय जैसे जुमले लिखकर मन का गुबार निकाल रहे हैं। भाजपा से ज्यादा उम्मीदवार कांग्रेस में हैं। सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर वार्डों में तो नाम तय हो गये, कुछ वार्डों में बड़े नाम आपस में टकरा रहे हैं, ऐसे में बगावत का डर बना हुआ है।