रोहित नागे, इटारसी
इटारसी। एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा, इस तरह से तीन बार के सांसद राव उदयप्रताप सिंह गाडरवारा से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा की दूसरी सूची में उनका नाम देखकर लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ, लेकिन गाडरवारा! हां, यह नाम अवश्य चौंकाने वाला है।
दरअसल, राव उदयप्रताप सिंह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे यह चर्चा सियासत के गलियारों में महीनों से चल रही थी, लेकिन उनका नाम सिवनी मालवा, नर्मदापुरम या फिर उनके पुराने विधानसभा क्षेत्र तेंदूखेड़ा से लिया जा रहा था। गाडरवारा थोड़ा चौंकाने वाली जगह है। अब तय हो ही गया है तो निश्चित है कि वे विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पूर्व में वे इससे इनकार करते रहे हैं।
एक बार नर्मदांचल डॉट कॉम के इसी सवाल पर उन्होंने कहा था कि वे आठ विधानसभा का नेतृत्व कर रहे हैं, उनको एक विधानसभा की क्या जरूरत है। लेकिन, अब संभवत: उनका जवाब होगा, जो आलाकमान तय कर उसे मानना पड़ेगा।
चलिए, यह तो हुई एक सांसद की बात। भाजपा की दूसरी सूची में सात नाम ऐसे हैं जो विधायक नहीं हैं, लेकिन वे दिग्गज हैं। केन्द्रीय मंत्री भी हैं, पार्टी संगठन की मजबूत धुरी भी हैं। इन नामों में तीन नाम ऐसे हैं जो पहले से मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार बताये जा रहे थे। वे चाहें इससे इनकार करें, लेकिन जब तक आलाकमान का इशारा न हो, कोई कैसे इस पर मुहर लगा सकता है। सो, उन्होंने भी किया।
एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी पूछा था कि उनको केन्द्र में ले जाया जा रहा है, तो जवाब मिला था, मुझे प्रदेश की जनता की सेवा में आनंद आता है। पिछले कुछ माह से भाजपा नेतृत्व और केन्द्र की ओर से जो संकेत मिल रहे थे, साफ जाहिर था कि मुख्यमंत्री भले ही शिवराज सिंह हों, उनको मुख्यमंत्री के चेहरे जैसी तबज्जो नहीं मिल रही है।
अब तीन नाम ऐसे आ गये जो पूर्व से मुख्यमंत्री के तौर पर माने जा रहे थे, इससे माना जा रहा है कि इनमें से ही मुख्यमंत्री हो सकते हैं। रात में भाजपा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी होने के बाद सवाल तेजी से दौडऩे लगा है कि क्या, शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश से केन्द्र में ले जाया जाएगा। जाहिर है, केन्द्र से दो मंत्री मध्यप्रदेश में आये हैं, एक जगह तो भरा ही होगा।
ये हैं वे तीन चेहरे जो सीएम के लिए चर्चा में
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम सबसे ऊपर था, जो कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री के दावेदारों में माना जा रहा था, अब इनको विधानसभा से टिकट मिल गया है। इसके बाद हाल ही में दो-ढाई माह पूर्व एक नाम प्रहलाद सिंह पटेल का आया था, वे अब नरसिंहपुर से चुनाव लड़ेंगे। तीसरा नाम भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का है, जिनको भाजपा ने पिछली मर्तबा टिकट नहीं देकर उनके बेटे का टिकट दिया और उनकी सेवाएं संगठन में ली। उनको पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी।
कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा आदिवासी कार्ड खेल जाए और फग्गनसिंह कुलस्ते को मुख्यमंत्री का दावेदार बना दे। सात सांसदों को भाजपा ने विधानसभा के लिए टिकट दी है। इनमें नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते केन्द्रीय मंत्री हैं। राव उदयप्रताप सिंह, राकेश सिंह, रीति पाठक और गणेश सिंह सांसद हैं तथा कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव हैं जो दस वर्ष बाद प्रदेश की राजनीति में वापसी कर रहे हैं। इनमें प्रहलाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, रीति पाठक और गणेशसिंह पहली बार विधानसभा के लिए किस्मत आजमाएंगे।
स्थानीय राजनीति में क्या होगा?
सवाल यह है कि अब स्थानीय राजनीति में क्या होगा? सांसद राव उदयप्रताप सिंह के कई समर्थक खुलकर वर्तमान विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा का विरोध कर रहे हैं, वे एकाधिक बार विधायक के विरोध में राजधानी का चक्कर काट आये हैं, क्या उनकी जीत होगी? सवाल सियासत के गलियारों में अब भी कायम है, जिसका उत्तर शायद तीसरी सूची में मिले।
दो सूची में नर्मदापुरम की चारों सीटों का कोई नाम नहीं है। थोड़ा-बहुत विरोध वर्तमान विधायकों का चारों सीटों पर है। लेकिन, क्या आलाकमान किसी की टिकट काटकर बड़ा जोखिम उठाना चाहेगा। माना कि यह जिला भाजपा का गढ़ है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तस्वीर में बदलाव की कवायद भी चल पड़ी है। अब तक कांग्रेस से मुखर विरोध नहीं हो पा रहा था, कांग्रेसी मैदान में उतनी मुखरता से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहे थे, जितनी मुखरता अब दिखा रहे हैं। ऐसे में चुनौती बढ़ी है, तो नाम भी बड़ा ही होना चाहिए। किसी भी प्रकार का जोखिम पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट के लिए कवायदें करनी पड़ेगी, ऐसा पिछले सर्वे से स्पष्ट हो रहा है। यदि विरोधियों की नहीं चली तो क्या वे गाडरवारा जाएंगे पार्टी का काम करने या फिर घर बैठ जाएंगे, सवाल अपनी जगह खड़ा है।
देखना है भविष्य की राजनीति क्या तय करती है।
रोहित नागे, इटारसी
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