यह बादलों का मौसम, राहतों का मौसम,एक हिंदी- ग़ज़ल , प्रेम की बारिश के मौसम की
यह बादलों का मौसम, राहतों का मौसम,
यह बारिशों का मौसम, चाहतों का मौसम।
लाख चाहा मिल न पर जमीं से आसमां,
बड़े दिनों में अब आया, मुलाकातों का मौसम।
मोगरा हाँ प्रेम का बोया था संग संग कभी,
महक उठें दिल ऐसा ज़ज़्बातों का मौसम।
तन भीगा, मन भीगा, धड़कनें, सांसें भीगीं,
दो प्राणों के मिलन का इनायतों का मौसम।
पानी की बूंदें , प्रेम रस सी मधुर लगतीं,
खुद में डूब जाने का मोहब्बतों का मौसम।
रंग नहीं , गन्ध नहीं, पर मदहोश करे पानी,
एक दूजे की बाट जोहते, बारातों का मौसम।
* एक मुक्तक आध्यात्मिक प्रेम का*
रुक्मणी ने कहा द्वारिकाधीश हैं कृष्ण,
अर्जुन बोला मेरे अभिन्न सखा कृष्ण,
गोपिकाएं बोलीं वंशी वाला है वो तो,
स्वयं बोले कृष्ण प्रेम ही है कृष्ण।
प्राणों में मीत होना चाहिए,
सांसों में गीत होना चाहिए।
शब्द भले कुछ भी कहें,
भावों में प्रीत होना चाहिए।।
चंद्रकांत अग्रवाल, इटारसी, मप्र