इटारसी। शासकीय कन्या महाविद्यालय इटारसी (Government Girls College Itarsi) में तनाव प्रबंधन विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आर्ट ऑफ लिविंग हैप्पीनेस प्रोग्राम (Art of Living Happiness Program) के प्रशिक्षक पराग खंडेलवाल (Parag Khandelwal) तथा अंशुल जैन (Anshul Jain) उपस्थित रहे।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. आरएस मेहरा (Principal Dr. RS Mehra) ने कहा कि तनाव आधुनिक समाज की एक आम समस्या है। तनाव का उच्च स्तर मानसिक एवं शारीरिक रूप से हमें अस्वस्थ कर सकता है। अत: तनाव प्रबंधन तकनीक जानना आधुनिक समाज की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। कार्यक्रम में पराग खंडेलवाल ने क्रियाओं के माध्यम से जीवन जीने के तरीकों को सिखाकर तनाव प्रबंधन की विभिन्न तकनीकों से छात्राओं को अवगत कराया। अंशुल जैन ने प्रयोग के माध्यम से सुदर्शन क्रिया के फायदे बताये।
उन्होंने बताया कि सुदर्शन क्रिया कोशिका स्तर पर शुद्धिकरण करती है और आपको तनाव से अछूता रहने के लिए ऊर्जा प्रदान करती हैं। आर्ट ऑफ लिविंग एक पूर्ण और सार्थक जीवन जीने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण या दर्शनों को संदर्भित करती है। संचालन कर रहे डॉ. शिरीष परसाई (Dr. Shirish Parsai) ने कहा कि समग्र स्वास्थ्य व्यक्ति की वह स्थिति है जब वह शारीरिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक रूप से बेहतर स्थिति में हो। समग्र स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए दैनिक जीवन में तनाव प्रबंधन की तकनीकों का ज्ञान अति आवश्यक है।
विश्व आदिवासी दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
महाविद्यालय में विश्व आदिवासी दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया। छात्राओं कासिफा खान (Kasifa Khan) एवं हेमा पटेल (Hema Patel) ने आदिवासी नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी। प्राचार्य डॉ आर एस मेहरा ने कहा कि आदिवासी संस्कृतियों अत्यंत समृद्ध एवं विविध हैं वे प्रकृति के साथ गहरा संबंध रखती हैं। सामुदायिक जीवन, अनूठी कला एवं संस्कृति, औषधिय ज्ञान उनकी विशेषता है। परंतु आधुनिक विकास के नाम पर भूमि हरण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, सामाजिक उत्पीडऩ और आर्थिक असमानता जैसी चुनौतियां हैं जो उनके जीवन शैली और संस्कृति के लिए खतरा बन रही हैं। डॉ हरप्रीत रंधावा (Dr. Harpreet Randhawa) ने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस 2024 की थीम है ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा’ उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें उनके योगदान को याद दिलाता है और उनके अधिकारों के लिए लडऩे के लिए प्रेरित करता है।
हम सभी दृढ़ संकल्पित होकर आदिवासी समुदायों के विकास और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करेंगे। श्री रविंद्र चौरसिया (Ravindra Chaurasia) ने आदिवासी जीवन, उनकी संस्कृति, उनके योगदान को याद कर आदिवासियों के मुद्दे के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित किया। आपने कहा कि हमें उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना होगा। इस अवसर पर छात्रा दिव्या भार्गव ने भी अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मंजरी अवस्थी, स्नेहांशु सिंह, डॉ हर्षा शर्मा, रविंद्र चौरसिया, पूनम साहू, डॉ. शिरीष परसाई, डॉ शिखा गुप्ता, डॉ संजय आर्य, डॉ श्रद्धा जैन, डॉ नेहा सिकरवार, तरुणा तिवारी, हेमंत गोहिया, क्षमा वर्मा, करिश्मा कश्यप, शोभा मीणा, हरिशंकर निगोते तथा छात्राएं उपस्थित थीं।