काव्य गोष्ठी : हरी चूनर हुई धरती मेरे मन को भाती है

होशंगाबाद। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल से संबद्ध पाठक मंच होशंगाबाद द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन नालंदा इंग्लिश मीडियम स्कूल ग्वालटोली मे रामभरोस यादव यादव समाज के मुखिया के मुख्यातिथ्य, अध्यक्षता पाठक मंच के संयोजक किशोर करैया केप्टन एवं स्कूल संचालक मुकेश यादव की विशेष आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में उपस्थित अतिथियों ने मां सरस्वती का पूजन किया। आयोजन में उपस्थित साहित्यकार, कवियों ने ओज, व्यंग्य, हास्य एवं करूण रस की एक से बढकर एक कविता प्रस्तुत की। कवि गोष्ठी इटारसी से आई स्वर्णलता छेनिया की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुई सुनील भिलाला ने बरसाती बूंद जब देखूं मेरे दिल को लुभाती है, हरी चुनर हुई धरती मेरे मन को भाती है। खूब तालियां बटोरी। शिवा यादव ने बाबा मेरा नाम लिखा दे,मे भी पढऩे जाऊंगी। अक्षर मुझको सभी बता दें सबको पाठ पढ़ाऊंगी। आलोक शुक्ला इटारसी ने एक दिया मोहब्बत कि जलता रहे तो बुरा क्या है। एक जुगनू इश्क का पलता रहे तो बुरा क्या है।प्रमोद रघुवंशी ने मैने जब भी तुम्हें देखा मुड़ के कभी, आईने की तरह वक्त याद आ गया।
सुभाष यादव ने नैतिकता का हुआ पतन है, कहां आ गया इज वतन हैं, एक बार फिर से आ जाओ, लिए सुदर्शन श्याम। के गजेंद्र भदौरिया ने कर्म जिनके खराब होते हैं, वो ही किस्मत के नाम रोते हैं खूब वाहवाही लूटी। मनोज परसाई ने जहां भी मंै देखूं वहां तुम ही तुम हो,मेरी प्रियतमा जी यहां तुम ही तुम हो पर खूब ताली बजी। हिमांशु शर्मा ने रेत के जैसे रुके हम, तुम नदी सी बहती रहो। महेंद्र तिवारी ने सखी मेघ निश्चित आयेंगे, इस उमस इस धूप से, इस धरा होगा मिलन बूंदों की पायजेअ लायेंगे। हिमांशु सिंह ने तुझे चांद कहना है स्वीकार मुझको मगर ये सितारे शिकायत करेंगे, नजर को जो कर दूँ नजर तेरे आगे तो फिर ये नजारे शिकायत करेंगे। इसके आलावा स्वर्णलता छेनिया, विशाल बिल्लोरे, जगदीश वाजपेयी, एचपी बछल्दे, जगदीश प्रसाद सारस्वत, एमएस शर्मा, खेमचंद यादवेश ने एक से कविता पाठ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन सुभाष यादव एवं आभार प्रदर्शन मुकेश यादव ने किया।

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