इटारसी। ग्राम तीखड़ से करीब 15 किलोमीटर दूर विस्थापित ग्राम मालनी के ग्रामीणों को अपने गांव का अस्तित्व खत्म होने और पता बदलने से शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित होने का भय सता रहा है। दरअसल, ग्राम मालनी के विस्थापन के बाद इसका ग्राम बांदरी में संविलियन कर दिया है और अब यहां के लोगों को कहा जाता है कि वे बांदरी के निवासी हो गए हैं।
सबसे अधिक चिंता उन विद्यार्थियों का सता रही है जिन्होंने अपने कालेज में जमा किए स्कालरशिप के आवेदन में अपना पता ग्राम मालनी लिखा है, पता गलत होने पर वे स्कालरशिप के लाभ से वंचित हो सकते हैं। जब से गांव का विस्थापन हुआ है, सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे मिलने नहीं पहुंचा और ना ही उनकी परेशानी जानने का प्रयास किया। गांव की ही छात्राओं ने आदिवासियों के हक के लिए बनी आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर के पदाधिकारियों से मुलाकात करके अपनी पीड़ा बतायी तो समिति के सदस्यों ने उनके अधिकार के लिए प्रशासन तक बात पहुंचाने और सुनवाई नहीं होने पर आंदोलन तक करने का आश्वासन दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीणों को शासकीय योजना का लाभ देने का लालच देकर गांव छुड़वा दिया और छह माह बीतने के बावजूद कोई अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है। गांव में न तो रोड है और ना ही साफ-सफाई का कोई इंतजाम। अब वे अपना हक पाने के लिए भटक रहे हैं, उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर के प्रांगण में रविवार को पहुंची छात्राओं ने अपनी बात रखी और बताया कि उनका वोटर आईडी बन गया है जिसमें उनके गांव का नाम बांदरी अंकित किया है। अधिकारियों से बात की तो उनको बताया कि अब आपके गांव का नाम बांदरी है। मालनी में चालीस मकान हैं। छात्राओं को कॉलेज छात्रवृत्ति, आवास योजना के फार्म भरने एवं गांव का पता गलत होने के कारण उनको समस्या का सामना करना पड़ रहा है। छात्रा लक्ष्मी उइके, संगीता उइके, कविता धुर्वे, बबिता धुर्वे, छाया उइके, संध्या उइके ने मीडिया प्रभारी विनोद बारीवा, समिति संरक्षक सुरेंद्र धुर्वे, अध्यक्ष बलदेव तेकाम को अपनी पीड़ा बतायी। समिति ने उनको आश्वास्त किया है कि वे उनके हक के लिए प्रशासन तक बात पहुंचाएंगे और उनकी सुनवाई नहीं हुई तो धरना-प्रदर्शन भी करेंगे।