इटारसी। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने का अंतिम दिन शक्ति प्रदर्शन वाला रहा। जिले की चारों विधानसभा क्षेत्र से आज शक्ति प्रदर्शन के साथ प्रत्याशियों ने अपने-अपने नामांकन जमा किए। हालांकि रिटर्निंग आफिसर के पास प्रत्याशी सहित पांच लोगों के साथ जाने की अनुमति थी, लेकिन अपने-अपने ठिए से तो प्रत्याशियों ने निर्वाचन कार्यालय की निर्धारित सीमा के बाहर तक शक्ति प्रदर्शन किया। प्रत्याशियों के साथ हजारों की संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे थे। होशंगाबाद और सोहागपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशियों डॉ. सीतासरन शर्मा और विजयपाल का शक्ति प्रदर्शन देखने लायक था। वाहनों के साथ पैदल कार्यकर्ताओं की संख्या हजारों में थी तो होशंगाबाद कांग्रेस प्रत्याशी बाबू सरताज सिंह भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मां नर्मदा की पूजा करके नामांकन जमा करने पहुंचे थे। उनके साथ भी इटारसी और होशंगाबाद के संैकड़ों कार्यकर्ता पहुंचे थे।
ये नेता रहे नामांकन के वक्त
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. सीतासरन शर्मा के साथ नामांकन जमा करने केन्द्रीय मंत्री और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के अलावा पार्टी के जिलाध्यक्ष हरिशंकर जैसवाल, पूर्व जनपद अध्यक्ष भगवती पटेल, होशंगाबाद जनपद की अध्यक्ष संगीता तोमर थीं। कांग्रेस के प्रत्याशी सरताज सिंह के साथ नामांकन भरने के वक्त पूर्व विधायक अंबिका प्रसाद शुक्ल, विजय दुबे काकूभाई, रमेश के साहू और जिलाध्यक्ष कपिल फौजदार थे। नामांकन जमा करने जाने से पहले दोनों प्रत्याशियों ने सेठानी घाट पर नर्मदा पूजा की। नर्मदा घाट पर डॉ. शर्मा के साथ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती थी तो सरताज सिंह के साथ भी कांग्रेस के दिग्गज मौजूद थे। एक वक्त कांग्रेस से चुनाव मैदान में आकर भाजपा के उम्मीदवार सरताज सिंह को हराने वाले विजय दुबे काकूभाई इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सरताज सिंह के प्रस्तावक बने हैं।
जब गुरु शिष्य आए सामने तो हुआ ये
कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री सरताज सिंह ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. सीतासरन शर्मा को राजनीति में लेकर आए। डॉ. शर्मा इटारसी में गुरुनानक फ्री डिस्पेंसरी में सेवाएं देते थे। श्री सिंह उनको चुनाव लडऩे लेकर आए तो इस तरह से वे डॉ. शर्मा के राजनीतिक गुरु कहे जाते हैं। आज नामांकन भरने के वक्त दोनों नेता अचानक आमने सामने आ गए तो डॉ. शर्मा ने उनका सम्मान करते हुए उनके पैर छुए और जीत का आशीर्वाद मांगा। सरताज सिंह ने जीत का आशीर्वाद दिया या नहीं, यह तो पता नहीं चला लेकिन, इतना अवश्य है कि गुरु-चेले ने अपना-अपना दायित्व निभा लिया। अब आगामी दिनों में दोनों को अपना राजनीतिक धर्म भी निभाना पड़ेगा।
उन्होंने कहा था, मेरा आशीर्वाद, सहयोग है
नामांकन जमा करने होशंगाबाद जाने से पूर्व मीडिया के सवालों के जवाब में भाजपा प्रत्याशी डॉ.सीतासरन शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु से दो दिन पूर्व चुनाव में आशीर्वाद मांगा था, तो उन्होंने कहा था कि मेरा आशीर्वाद और सहयोग है। अब ऐसा आशीर्वाद मिलेगा तो शिष्य को तो सामने आना पड़ेगा, क्योंकि गुरु ने शिष्य के सामने चुनाव मैदान में आने में संकोच नहीं किया है। डॉ. शर्मा ने कहा कि इससे यह भी पता चल जाएगा कि उन्होंने कैसी शिक्षा दी है और शिष्य कितना पारंगत हुआ है। वैसे भी हमारे इतिहास में भगवान परशुराम और भीष्म पितामह का उदाहरण सामने है, जो गुरु-शिष्य होकर भी आमने सामने आए थे। चुनौती पर बोले, हम हर चुनाव पूरी ताकत से ही लड़ते हैं। श्री सिंह के अचानक पार्टी छोडऩे के सवाल पर बोले कि आश्चर्य मुझे भी हुआ था, वे साठ वर्ष से थे और विचार एक दिन में नहीं बदलते हैं। हम लोग विचारों से भाजपा में हैं। उन्होंने भाजपा छोड़ी इसका मुझे भी अफसोस है। कांग्रेस से मंत्री पद मांगना केवल कल्पना है, क्योंकि सरकार भाजपा की बन रही है।
ये है मुकाबले की तस्वीर : होशंगाबाद विधानसभा क्षेत्र
होशंगाबाद विधानसभा में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. सीतासरन शर्मा और कांग्रेस के सरताज सिंह के बीच ही होगा। हालांकि यहां बसपा, हिन्दू महासभा और निर्दलीय भी मैदान में हैं। बावजूद इसके पहले तीन और फिर एक जीत दर्ज करने वाले डॉ. शर्मा पांचवी बार मैदान में हैं तो इस विधानसभा सीट पर सरताज सिंह दूसरी बार मैदान में हैं। जब इटारसी विधानसभा थी तो वे भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री विजयदुबे काकूभाई के खिलाफ छोटे से अंतर से चुनाव हारे थे। इसके बाद वे लोकसभा में लगातार चुनाव जीते और फिर विधानसभा में सिवनी मालवा से प्रतिनिधित्व किया। इस बार भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो वे कांग्रेस में शामिल होकर होशंगाबाद से प्रत्याशी बने हैं। सरताज सिंह की मौजूदगी ने होशंगाबाद विधानसभा में भाजपा को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर किया है। जिले की इस सीट पर अब चुनावी मुकाबला दोनों ही दल भाजपा-कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र
जिले की दूसरी सबसे प्रतिष्ठित सीट सोहागपुर मानी जा रही है। यहां वर्तमान में प्रतिनिधित्व कर रहे, दो बार के विजेता विजयपाल सिंह का मुकाबला कांग्रेसी दिग्गज अर्जुनलाल पलिया के बेटे सतपाल पलिया से है। मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है, और खुद निर्वाचन आयोग ने इसे संवेदनशील क्षेत्र में मानकर अपनी टीम को हर पल नजर रखने को ताकीद किया है। सोहागपुर विधानसभा में दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला कड़ा होने के आसार हैं। यहां पिपरिया के पलिया का भी वर्चस्व माना जाता है। क्योंकि एक समय कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर पलिया ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था तो जनता ने उनको जिताया भी था। इस बार उनके पुत्र सतपाल पलिया को कांग्रेस ने सोहागपुर से टिकट देकर दो बार के विजेता विजयपाल के सामने उतारा है। देखना दिलपस्प होगा कि सोहागपुर की जनता किसे प्रतिनिधित्व सौंपेगी? विजयपाल के पास दो बार का अनुभव है और सतपाल पलिया पिता के अनुभव पर निर्भर हैं।
पिपरिया विधानसभा क्षेत्र
पिपरिया विधानसभा में इस बार काफी देर से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि हरीश बेमन का नाम काफी लिया जा रहा था, वे पार्षद भी रहे हैं। बावजूद इसके पिपरिया से दोनों ही पार्टियों से इस बार नए-नए नाम भी सामने आ रहे थे। जिनमें इटारसी के रमेश बामने और सीमा कैथवास का नाम भी शामिल था। कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी को तबज्जो देकर हरीश बेमन को उम्मीदवार घोषित किया है तो भाजपा ने भी दो बार के विजेता ठाकुरदास नागवंशी को ही तीसरा मौका दिया है। पिछला चुनाव वे पचास हजार से भी अधिक वोट से जीते हैं, अत: उनका टिकट काटने में भी भाजपा को कई बार सोचना पड़ा होगा। हरीश बेमन इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके पत्रकार और फिर कांग्रेस नेता बने तुलाराम बेमन के बेटे हैं। इस विधानसभा सीट पर भी मुख्य मुकाबला भाजपा के ठाकुरदास ओर कांग्रेस के हरीश बेमन के बीच ही है। कांग्रेस पिपरिया सीट को वापस पाने के लिए पुरजोर मेहनत करेगी, ऐसा माना जा रहा है।
सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र
सिवनी मालवा में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरों को ही उतारा है, जो करीब डेढ़ दशक पूर्व भी आमने-सामने आ चुके हैं। भाजपा ने सरताज सिंह को टिकट नहीं दिया। यहां से पार्टी में उनका विरोध हो चुका था और स्थानीय प्रत्याशी की मांग जोर पकड़ रही थी तो पार्टी ने अंतिम वक्त में प्रेमशंकर वर्मा को फिर टिकट दिया है। इसी तरह से कांग्रेस ने भी पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री हजारीलाल रघुवंशी के बेटे ओमप्रकाश रघुवंशी को मैदान में उतारा है। प्रेमशंकर वर्मा यहां से पहले विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, ओम रघुवंशी पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन वे जीत नहीं सके थे। सरताज सिंह के पार्टी छोड़ देने से यहां का भाजपा का गठित अब जातिवाद की राजनीति पर टिक गया है। इस क्षेत्र में लोधी समाज की बहुलता है, अत: पार्टी ने उसी जाति का उम्मीदवार उतारा है तो ओम रघुवंशी अपने पिता हजारी लाल रघुवंशी की विरासत के बल पर जीत की उम्मीदें लगाए मैदान में हैं।