इटारसी। मध्यप्रदेश पटवारी संघ के सदस्य संपूर्ण प्रदेश में पटवारियों की लंबित मांगों के निराकरण न होने से व्यथित होकर अतिरिक्त हल्कों व खसरा संशोधन के नए साफ्टवेयर बेव जीआईएस का बहिष्कार कर धरना-आंदोलन कर रहे हैं। पटवारी संघ के इस आंदोलन के साथ ही राजस्व निरीक्षक संघ और कोटवार संघ भी शामिल है।
पटवारी संघ, राजस्व निरीक्षक संघ और कोटवार संघ के आंदोलन से राजस्व की व्यवस्था लडख़ड़ाने लगी है। पटवारी, आरआई और कोटवारों ने पूरी तरह से काम बंद कर दिया है जिससे राजस्व का मैदानी कामकाज नहीं हो पा रहा है तथा आफिस का काम भी प्रभावित हो रहा है। पटवारी संघ अब तक अपनी मांगों को लेकर शासन को 382 ज्ञापन दे चुका है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका है।
ये है आंदोलन का आधार
सन् 2008 में सनावद के सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि पटवारियों का वेतनमान बहुत कम है, कार्य के अनुरूप उनका वेतनमान संशोधित करके बढ़ाया जाएगा, किन्तु आज तक पटवारियों के वेतनमान में कोई संशोधन नहीं किया है। इसके लिए पटवारी संघ को मजबूरी में 2013 और 2015 में आंदोलन भी करना पड़ा था। दोनों ही बार वरिष्ठों के आश्वासन पर आंदोलन वापस लिया था। एक वर्ष बीत जाने के बाद भी वेतनमान में कोई संशोधन नहीं किया गया।
ये कार्य करते हैं पटवारी
पटवारी संघ ने कहा कि पटवारी कई विभागों के कार्य संपादित करता है। उनके समकक्ष कर्मचारी जैसे ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, बहुद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, लैब टेक्निशियन, डाटा इंट्री आपरेटर आदि सभी कर्मचारी समान वेतनमान पाते थे और आज ये पटवारियों से अधिक वेतनमान पा रहे हैं जबकि पटवारी आज भी इनसे अधिक काम करते हैं। पटवारी संघ का कहना है कि पटवारियों को 2800 का ग्रेड पे दिया जाए जिससे केवल 14 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा।
परीक्षा का आयोजन करें
पटवारी संघ का कहना है पटवारी से नायब तहसीलदार की विभागीय परीक्षा 22 वर्ष पूर्व 1994 में आयोजित की गई थी। वर्ष 2998 में उक्त परीक्षा आयोजित करने के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी एवं पात्र उम्मीदारों से आवेदन भी बुलाए गए थे किन्तु किसी कारणवश परीक्षा उस वक्त नहीं हो सकी। अत: पटवारी से नायब तहसीलदार की विभागीय परीक्षा अतिशीघ्र आयोजित की जाए एवं उसमें शैक्षणिक योग्य उम्मीदवार को आयु सीमा का बंधन समाप्त कर परीक्षा देने की अनुमति दी जाए।
राज्य कैडर का विरोध
पटवारी संघ को अपने स्रोतों से ज्ञात हुआ है कि उनका जिला के स्थान पर राज्य स्तर का कैडर बनाया जा रहा है, जो व्यवहारिक नहीं है। पटवारी का पद तृतीय श्रेणी का है और न्यूनतम वेतन है। पटवारी पद के लिए शासन से कोई शासकीय वाहन व आवास एवं यात्रा भत्ता भी नहीं है। ऐसी स्थिति में पटवारी राज्य स्तर पर काम नहीं कर सकता है। राज्य स्तरीय कैडर बन जाने से पटवारी जैसे न्यूनतम पद को भविष्य में स्थानांतरण के नाम पर प्रताडि़त किया जाने की भी आशंका है।