वाणी शहद से मीठी है, तो जहर से भी ज्यादा घातक

Post by: Manju Thakur

इटारसी। उत्तर बंगलिया के एसएसडीएसएम स्कूल परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक पं संतोषगिरी गोस्वामी ने कहा कि भगवान सिर्फ छप्पन भोग चढ़ाने से ही प्रसन्न नहीं होते, भगवान तो प्रेम की चीर (कपड़ा) चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं। श्री गोस्वामी ने कहा कि रानी द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में छोटा सा कपड़ा सिर्फ अच्छे मन से बांधा था। इसी फल उन्हें ये मिला कि भगवान ने उनका चीर हरण नहीं होने दिया और महाभारत में मदद की। अश्वास्थामा की मणि तक निकाल ली।
पं. गोस्वामी ने कहा कि हमेशा वाणी अच्छी बोलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये वाणी कई बार जहर से भी घातक हो जाती है, ये इतना बड़ा जहर है इसका कोई तोड़ नहीं। उन्होंने कहा कि कैकयी ने वाणी में जहर घोला तो दशरथ नहीं रहे। द्रोपदी ने दुर्योधन को गलत शब्द कहे तो महाभारत हो गया। श्री गोस्वामी ने महिलाओं और पुरुषों से कहा कि परिवार में कोई कुछ कहे तो उसे सुन लेना चाहिए। प्रतिकार तत्काल और उग्र होकर करेंगे तो रिश्तेखार हो जाते हैं। भागवत कथा में मुख्य यजमान स्कूल के प्रधान अध्यापक विनोद योगी, उनकी धर्मपत्नी शिक्षिका साधना योगी हैं।

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