इटारसी। – ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए परेशान होना पड़ा
– सीसीसी इटारसी का सिलेंडर पवारखेड़ा ले गये तो वापस नहीं लाये
– आला अधिकारियों ने कुछ दिन यहां डेरा डाला, फिर चले गये वापस
– कोविड केयर सेंटर की हर कमी पर पर्दा डालते रहे हैं जिम्मेदारी
इस कोरोना संक्रमण के संकट के समय जब पूरे होशंगाबाद जिले में कोरोना के मरीज केवल इटारसी में ही मिल रहे थे तो अपेक्षा की जा रही थी कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी इस शहर को प्राथमिकता देंगे और स्वास्थ्य विभाग इसे ही हेडक्वार्टर बनायेगा। लेकिन, इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और शहर की उपेक्षा ने शहर के लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया है। एक पुराने और बिना सुविधा के भवन में बने कोविड केयर सेंटर ने किसी भी मरीज के परिवार को संतुष्ट नहीं किया। बीती रात जब एक युवती को सांस लेने में परेशानी हुई तो यहां कोविड केयर सेंटर में ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं था। व्यवस्था करने में भी आधा घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का मुख्यालय इटारसी था। लेकिन, कुछ दिनों में ही उन्होंने यहां से रवानगी डाल ली और होशंगाबाद से आना बंद कर दिया। कोविड केयर सेंटर पवारखेड़ा बना लिया लेकिन, वहां केवल नवनिर्मित और आलीशान भवन के अलावा कोई अन्य व्यवस्थाएं नहीं थीं जो इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए होनी चाहिए थी। विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने इसके लिए तीस लाख की स्वीकृति दी। तीस लाख बड़ी राशि है और इससे व्यवस्थाएं ऐसी होनी चाहिए थी कि सारी शिकायतें दूर हो जातीं। लेकिन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर जैसानी की कार्यप्रणाली देखकर लगा नहीं कि उन्होंने इस बीमारी को गंभीरता से लिया हो। हालात यह उत्पन्न हो गये कि लोगों को असंतुष्टि होने लगी और सीएमएचओ और डॉ.एसपीएम अस्पताल के अधीक्षक इन सारी चीजों को झुठलाते रहे।
हर कमी पर कहा, सच नहीं है
मीडिया ने जब भी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का ध्यान किसी समस्या की तरफ दिलाया उन्होंने मरीज और उनके परिवार पर ही ठीकरा फोड़ दिया। यानी हर बार हर शिकायत को झुठलाया। बिजली कर्मचारी को आखिर कोरोना पॉजिटिव निकला। जबकि वह सरकारी अस्पताल में चार मर्तबा खुद जाकर जांच कराना चाहता था। उसे हर बार वहां से साधारण दवा देकर चलता कर दिया। आखिरकार उसे प्रायवेट डॉक्टर की शरण लेनी पड़ी। जब वहां से आराम नहीं लगा और उसके परिजनों ने हेल्प लाइन पर फोन किया तो आखिर टीम सेंपल लेने पहुंची और वह कोरोना पॉजिटिव निकला। उसे अस्पताल में खाने को ठीक से नहीं मिला। परिवार वालों ने जब कहा तो उनको ही डांट दिया। मरीज के परिजनों को यदि सुविधा नहीं मिलेगी तो वे शिकायत तो करेंगे ही। यानी गलती भी की और दबाव भी बनाया कि हम गलत नहीं, मरीज के परिजन गलत हैं।
भोपाल में शिकायत क्यों नहीं की
बुधवार की रात जीन मोहल्ला की जिस युवती को सांस लेने में तकलीफ थी, वह कोरोना पॉजिटिव थी और भोपाल के चिरायु अस्पताल में उसका उपचार हुआ और वह ठीक होकर आयी। भोपाल में जो उपचार मिला, उसकी तारीफ उक्त युवती ने घर वापसी के वक्त की थी। लेकिन, रात को जब उसे यहां सांस लेने में तकलीफ होने पर भर्ती किया तो उसकी परेशानी नहीं सुनी गयी। कोविड केयर सेंटर में सिलेंडर नहीं था। जब उच्च अधिकारियों तक बात पहुंची तो आनन-फानन में दूसरी जगह से सिलेंडर की व्यवस्था की गई। युवती को एक कमरे में भर्ती करके एक नंबर देकर कह दिया कि वह दरवाजा बंद कर ले, जरूरत हो तो इस नंबर पर काल कर लेना। यदि उसकी हालत बिगड़ती तो क्या वह काल कर सकती थी? सुबह दरवाजे पर दलिया रखकर कह दिया कि उठाकर खा लेना। इस तरह से अमानवीय तरीके से खाना दिया जाता है, लेकिन इस बात को न तो मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मानने को तैयार होते हैं और ना ही अधीक्षक। वरिष्ठ अधिकारियों ने कभी आकर मरीज या उनके परिजनों से बात करके वास्तविकता जानने की कोशिश नहीं की बल्कि यहां के अधिकारियों ने जो कह दिया उसी को सच मान लिया।
भट्टी की तरह तपता है, सीसीसी
कोविड केयर सेंटर एक पुराने भवन में बनाया गया है तो इस भीषण गर्मी के दौर में भट्टी की तरह तपता है। उसके कमरों में पुराने जमाने के पंखे लगे हैं जो चलते हुए दिखाई तो देते हैं, लेकिन उनसे उतनी हवा नहीं मिलती जो गर्मी से राहत दे सके। छत तपने के बाद तो ये पंखे भी जो हवा देते हैं, वे इतनी गर्म होती है कि यहां रहने वाला मरीज कोरोना से कम इस कमरे के वातावरण से ही सहम जाता है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जो साधन-सुविधाएं हमारे पास उपलब्ध हैं, वहीं तो कर रहे हैं। बहुत पुराना भवन है, पंखे भी पुराने हैं। यहां सीमित साधनों में जो अच्छा कर सकते हैं, कर रहे हैं। अब एसी में रहने वाले मरीजों को परेशानी तो होगी ही। इस सीसीसी से बाहर निकलकर पवारखेड़ा और भोपाल से ठीक हुए मरीजों का कहना है कि जब तक इटारसी के कोविड केयर सेंटर में रहे, एक भय बना रहा कि कोविड के लिए भर्ती हुए हैं, कहीं इस भट्टी जैसे तपते कमरे में रहकर घबराहट में जान न चली जाए।
इनका कहना है…!
रात को मरीज को लाये थे, ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं था। सूचना मिलने के बाद पंद्रह से बीस मिनट में अन्य जगह से व्यवस्था कर दी थी। मरीज को तीन दिन भर्ती रहने को कहा था, लेकिन उनके परिजनों ने कई जगह से फोन लगवाकर छुट्टी करने के लिए दबाव बनाया। सुबह 11 बजे उनके परिजन मरीज को लेकर चले गये। रही बात कमरे की तो पुराना भवन है, उसी में सीसीसी बना है और पंखे भी पुराने हैं। जो उपलब्ध है, उन्हीं साधनों से काम कर रहे हैं।
डॉ. एके शिवानी, अधीक्षक
ये बोले विधायक
हमने विधायक निधि से राशि स्वीकृत की है, एजेंसी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी हैं, उन्होंने कुछ सामानों की सूची दी है, जो वे खरीदेंगे। रही बात यहां की अव्यवस्थाओं की तो हम इस विषय में सीएमएचओ से बात कर रहे हैं, जल्द ही यहां की व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाएगा।
डॉ.सीतासरन शर्मा, विधायक
Ye jhola chap doctor honge jo amanbiy bybhar kartey hai