देश को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधा – डॉ.जार्ज विक्टर
होशंगाबाद। जिले भर में आदि गुरू शंकराचार्य की जयंति मनाई गई। मुख्य समारोह नर्मदा महाविद्यालय सभागार मे आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीताशरण शर्मा ने आदि गुरू शंकराचार्य के जीवन तथा दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जी का मध्यप्रदेश से गहरा नाता रहा है। उन्हें नर्मदा के तट पर ओंमकारेश्वर में ही गुरू ज्ञान प्राप्त हुआ। शंकराचार्य ने वेदो और उपनिषदो को आमजन तक पहुँचाने के लिए उनके भाष्य लिखे। उन्होंने देश में दर्शन और धर्म के क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य किया। उनके कार्यो से देश में सांस्कृतिक और धार्मिक क्रांति का सृजन हुआ। विश्व को बदलने के लिए आदि शंकराचार्य के विचार आज भी सार्थक हैं। आज क्रांति की नही कर्म करने की आवश्यकता है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आदि गुरू ने अद्वैत दर्शन की स्थापना करने के साथ देश को जगाने के लिए चारो दिशाओ में प्रमुख स्थानो पर पीठ की स्थापना की। इनके माध्यम से उन्होंने कर्म करने की सीख दी। स्वामी विवेकानंद और आदि गुरू ने बहुत कम आयू में देश को बहुत बड़ा योगदान दिया। विद्यार्थी भी यदि संकल्प लें तो वे क्रांति कर सकते हैं। समारोह के मुख्य वक्ता सांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.जार्ज विक्टर ने आदि गुरू की आध्यात्मिक यात्रा तथा बौद्धिक क्रांति के प्रयासो की सराहना की। उन्होंने कहा कि आदि गुरू हिन्दू धर्म, वैदिक दर्शन तथा देश की सांस्कृतिक पुर्नजागरण के महानायक थे। उन्होंने वैदो तथा उपनिषदो के भाष्य लिखकर इनके ज्ञान को आमजन को सुलभ कराया। उन्होंने देश भर का भ्रमण करके लोगो को जागरूक किया। उनकी सबसे बड़ी सफलता देश में दार्शनिक और बौद्धिक जागरण का निर्माण करना था। उन्होंने देश को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधा।
डॉ.विक्टर ने कहा कि आदि गुरू ने आत्मा, परमात्मा, ब्राम्ह, जीव, जीवात्मा तथा ईश्वर के संबंध में स्पष्ट विचार रखे। उन्होंने कहा कि ब्राम्ह और जीव एक ही है। जो सगुण है वही निर्गुण है। सबका लक्ष्य सुख प्राप्त करना तथा मोक्ष प्राप्त करना है। यह केबल आत्म ज्ञान से संभव है। शरीर विभन्न हो सकते हैं आत्माए भिन्न हो सकती है किन्तु आत्मज्ञान होने और स्वयं के अंदर ब्राम्ह ज्ञान होने पर सब कुछ एकाकार हो जाता है। शंकराचार्य ने आज से 1200 वर्ष पूर्व धर्म और दर्शन के क्षेत्र में अग्रदूत के रूप में अतुलनीय कार्य किया। यदि शंकर नही होते तो आज सनातन धर्म का जो स्वरूप है वह नही होता।
समारोह में खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री शिव चौबे ने शासन के शंकराचार्य जयंती मनाने के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि आदि गुरू ने देश में सामाजिक समरसता स्थापित की। समारोह में पंडित भवानीशंकर शर्मा ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए धीरज की आवश्यकता होती है। शंकराचार्य ने अद्वैत मत की स्थापना करके सनातन धर्म की बुराईयो को समन करने का प्रयास किया। उनके ज्ञान और दर्शन से धर्म को नई ऊँचाईयां मिली। समारोह में साहित्यकार श्री अशोक जमनानी ने आदि गुरू शंकराचार्य को समाजसुधारक और क्रांतिकारी समाज सेवक निरूपित किया। उन्होंने कहा कि आदि गुरू ने केबल सात वर्ष की आयू में एक संपन्न परिवार से भिक्षा लेने से इंकार कर दिया क्योकि उसके घर के बगल में गरीब का चूल्हा नही जल पा रहा था। इस अन्याय को दूर करने के लिए उन्होंने संघर्ष किया। उन्होंने हिन्दू समाज की कुरीतियो और जड़ता को समाप्त करने के लिए क्रांतिकारी कार्य किये। उनके भाष्यो ने हिन्दू धर्म को नई गति दी। उन्होंने सनातन धर्म की जड़ता तथा धार्मिक आडंबरो के बंधन को काटकर उसे आमजन के बीच पुर्नस्थापित किया।
समारोह में डॉ.विनीता अवस्थी ने आदि गुरू के जीवन तथा कृतित्वो की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य ने ब्राम्ह सूत्र, कनकधारा स्त्रोत, नर्मदाष्टक सहित अनेक रचनाएं की हैं। उन्होंने हिन्दू धर्म की पुर्नस्थापना के लिए रूढ़िवादी आचार्यो तथा पंडितो से शास्त्रार्थ करके उन्हें पराजित किया। उन्होंने ब्राम्ह एक है की स्थापना के लिए पूरे देश का भ्रमण कर धार्मिक क्रांति का सूत्रपात किया। चारो दिशाओ में चार शंकराचार्य पीठ धार्मिक शिक्षा और ज्ञान के केन्द्र बने। समारोह में डॉ.श्रुति गोखले ने कहा कि आदि गुरू ने देश और समाज को एक किया। उन्होंने देश की बौद्धिक एवं धार्मिक चेतना को पुन: जागृत किया। उन्होंने 10 उपनिषदो का भाष्य लिखा। उन्होंने गीता भागवत पर भाष्य लिखकर उसे नवीन ग्रंथ के रूप में प्रतिस्थापित किया। उन्होंने महात्मा बुद्ध को सनातन परम्परा में ज्ञानावतार घोषित करके हिन्दू तथा बौद्ध धर्म को एकाकार कर दिया। समारोह में विधायक सिवनीमालवा श्री सरताज सिंह, नगर पालिका अध्यक्ष श्री अखिलेश खंडेलवाल, कलेक्टर श्री अविनाश लवानिया, एडीएम मनोज सरियाम, अधिकारी, विद्यार्थी तथा आमजन उपस्थित रहे। अतिथियो का स्वागत प्राचार्य डॉ.चौबे ने किया। समारोह का समापन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पी.सी.शर्मा द्वारा आभार प्रदर्शन से हुआ।