इटारसी। लायंस दीपचंद धारगा की स्मर्ति में धारगा परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा के छठवें दिन साध्वी श्री दीदी ने श्रीकृष्ण के रास रचाने के पीछे का वक्तव्य स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण ने महारास गोपियों और राधा जी के उनके प्रति प्रेम को प्रकट करने के लिए किया था। गोपियों ने सारे संबंध तोड़कर केवल श्री कृष्ण से ही अपना नाता जोड़ लिया था। गोपियों ने रास के द्वारा ही परमतत्व रूपी श्री कृष्ण की प्राप्ति की है।
साध्वी जी के अनुसार रास के बाद गोपियों में अहंकार की भावना आ गयी थी कि उनके अलावा भगवान को और कोई इतना अधिक प्रेम नहीं करता, तब श्री कृष्ण ने उन्हें राधा जी के प्रेम को दिखाने के लिए वे उनके बीच से अचानक गायब हो गये। तो गोपियों सहित राधा जी भी विरह अवस्था में आ गयी तब गोपियों ने राधा जी से कहा कि आप दुखी न हो, हम सभी वन में जाकर श्री कृष्ण को ढूंढ निकालेंगे। तब राधा जी ने कहा कि वे कृष्ण को और कष्ट नहीं देना चाहती क्योंकि अगर वे उनके पीछे वन में गयी तो वे वन के घने अंधकार में चले जायेंगे जिससे उन्हें और अधिक कष्ट होगा। अगर हमारे प्रेम में शक्ति है तो कृष्ण स्वयं उनसे मिलने आयेंगे। यह बात सुनकर गोपियों को विश्वास हो गया कि राधा जी इस अवस्था में भी अगर कृष्ण की तकलीफ की चिंता कर रही है तो उनसे अधिक प्रेम श्री कृष्ण से और कोई नहीं कर सकता।
आज की कथा में भ्रमर गीत का मनोरम मंचन और गायन किया गया जिसने सभी भक्तों का मन मोह लिया। साथ ही श्री कृष्ण और रुक्मणि विवाह का भी आयोजन हुआ जिसमें सभी भक्तों ने नाच-गाकर विवाह की लीला का रसपान किया।
रविवार को कथा का अंतिम दिवस है। आयोजनकर्ता धारगा परिवार ने सभी श्रद्धालुओं से सुबह 11 बजे से कथा में उपस्तिथ होने का निवेदन किया है, साथ ही दोपहर 3 बजे से प्रसादी वितरण किया जायेगा।