कृषि वैज्ञानिकों ने किसान कल्याण कार्यशाला में दी सीख
इटारसी। किसान अपने खेतों में बुवाई से पूर्व सौर उर्जीकरण पद्धति अपनाएं, इससे न सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, बल्कि फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से भी मुक्ति मिलेगी। यह सीख केसला ब्लाक मुख्यालय पर हुई किसान कल्याण कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी।
कार्यशाला का आयोजन ग्राम स्वराज अभियान के अंतर्गत किया गया था। वर्ष 2022 तक कृषि आय को दो गुना करने के उद्देश्य से हो रहे कार्यक्रम के अंतर्गत आत्मा प्रोजेक्ट ने यह आयोजन किया था। यहां उपस्थित सौ किसानों को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिता पचौरी ने सोयाबीन पर पीला मोजक रोग, दलहनी फसल, दो गुना उत्पादन कैसे करें, सौर उर्जीकरण, बीजोपचार जैसे विषय पर किसानों को जानकारी दी। उन्होंने किसानों से कहा कि पिछले वर्ष फसल में पीला मोजक रोग लगा था, अत: वह बीज इस वर्ष कतई नहीं बोयें। उन्होंने कहा कि कीट पतंगों से बचाव के लिए सौर उर्जीकरण अपने खेतों में करें। इस दौरान मल्टीक्राप का सुझाव भी किसानों को दिया ताकि एक फसल खराब होने पर दूसरी फसल का लाभ लिया जा सके।
इस अवसर पर मौजूद डॉ. चौहान ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में अधिक उत्पादन के लालच ने वहां के खेतों को खराब कर दिया है। हालात यह है कि वहां अत्यधिक रासायनिक खाद व कीटनाशक उपयोग से कैंसर के रोगी बढ़े हैं और कैंसर एक्सप्रेस नामक ट्रेन चल रही है। किसान जैविक खेती की ओर चलें ताकि ऐसी जानलेवा बीमारियों से बचा जा सके और अपने खेत भी बच सकें। उन्होंने कहा कि जमीन तो जितनी है, उतनी ही रहेगी, प्रयास करें कि सिंचित जमीन का रकबा बढ़ाएं। आत्मा के डायरेक्टर एनएल दिलवारिया ने फर्टिलाइजर, जैविक खेती, नाडेफ, वर्मी कम्पोस्ड, गौवंश, गोबर और गौमूत्र की विशेषताएं बतायीं। पशु चिकित्सक डॉ. सुष्मिता सेन ने गर्भाधान की जानकारी दी और बकरी पालन, डेयरी संबंधी शासन की योजनाएं बतायीं। इस अवसर पर जनपद सदस्य मनोज गुलबाके, वरिष्ठ कृषि अधिकारी एसबी मालवीय ने फसल चक्र के विषय में बताया।