इटारसी। सत्संग के लिए अनुभव, भजन के साथ ईश्वर की भक्ति भी अनिवार्य है, क्योंकि भक्ति से ही भगवान मिलते हैं। भगवान को अपने वश में करना हो तो भक्ति से बांधना पड़ेगा। मन को पवित्र बनाना होगा, छल-कपट से भगवान का मिलना संभव नही है।
यह बात पिपलेश्वर मंदिर जमानी रोड पर चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन संत भक्त पं. भगवती प्रसाद तिवारी ने भागवत कथा में सत्य का सुंदर चित्रण करते हुए कही। उन्होंने कोरोना महामारी के विषय में भी लोगों को सजग रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हरि हम से दूर नहीं, सब के मन मे विराजमान है। ऊखल बंधन की कथा का चित्रण करते हुए कहा कि ऊखल से दो पेड़ों को गिराया उसमें से दो पुरुष निकले और क्षमा मांगी। बकासुर अघासुर जैसे राक्षसों का भगवान ने उद्धार किया। भगवान की लीला समझने ब्रम्हा जी ने गोप ग्वाल को माया से ब्रम्हलोक भेज दिया, तब भगवान ने वही माया से पुन: वैसे ही गोप ग्वाल को बनाकर अपनी लीला दिखाई। गोवर्धन महाराज की पूजा के सभी लोगों बताते हुए कहा कि इंद्र हमारा देवता नहीं है, हमारे रक्षक तो गोवर्धन देवता हंै, इनकी पूजा करनी चाहिए। ये सुन इंद्र देव नाराज हो गए और जमकर पानी बरसाया गोप ग्वाल घबराए फिर कन्हैया ने कहा कि चलो गोवर्धन बाबा की शरण में और 7 दिन उन्हीं की शरण मे रहकर रक्षा की। आज की कथा में पूर्व विधान सभा अध्यक्ष एवं विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा भी उपस्थित हुए।